साहित्य में अंतरजाल का सदुपयोग

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gulab

आज इंटरनेट यानि अंतरजाल के माध्यम से कहानियां, कविता,उपन्यास, संवाद,ग्रंथ, समाचार पत्रिका,ई-बुक्स एवं ई-पत्रिका ने अपनी जड़ें मजबूत करने के साथ-साथ हिंदी का प्रचार-प्रसार भी बढ़ाया है। आप कविता या कहानी लिखते हों,तो आज के कवि या लेखक को अंतरजाल चलाना पहले ही चलाना सीखना होगा,क्योंकि अपनी रचनाएं लाखों लोगों तक पहुँचाने और हिन्दी पत्रिका में प्रकाशित करने के लिए इसके जरिए भेजना आसान हो गया है। अब डाकघर में चिट्ठी नहीं डाली जाती है।
हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए आज बहुत सी ई-पत्रिकाएं भी इसी अंतरजाल के जरिए प्रकाशित होती हैं। अंतरजाल से जुड़े लोगों को ऐसी सारी ई-पत्रिकाएं पढ़ने के लिए आसानी से उपलब्ध हैं, जहाँ अपनी रचना प्रकाशित की गई हो। इससे छपाई की जानकारी साहित्यकार को जल्दी मिल रही है। आजकल देश-विदेश में साहित्य सम्मेलन में भी इसका बढ़िया उपयोग हो रहा है। जो सम्मेलन में जा नहीं सकता है,वो अंतरजाल के माध्यम से इससे अवगत होता है। यही वजह है कि,अब पाठकों तक रचना पहुँचने में देरी नहीं लगती है।
इससे अधिवेशन की जानकारी भी साहित्यकारों को जल्दी मिल रही है। देश के विभिन्न क्षेत्रों में आयोजित साहित्य सम्मेलनों की जानकारी इस जरिए जल्दी मिलने से साहित्यकार सम्मेलन में समय पर शामिल होने का अवसर बना लेते हैं।
यहाँ तक कि,अब विदेश में भी इस माध्यम से साहित्य सम्मेलन होने लगे हैं। अंतरजाल के जरिए रचनाकर विदेश में अपनी बात और रचनाओं को पहुँचाकर ख्याति प्राप्त प्राप्त कर सकते हैं। इस
माध्यम से साहित्यकार अपनी रचना अपने पसंदीदा पाठकों तक भी सरलता से भेज सकता है।
इसमें काम की बात यह भी है कि,भारत सरकार के केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय की ओर से देश के विभिन्न क्षेत्रों में साल में आठ हिंदी साहित्य शिविर लगाए जाते हैं,जिसमें नव लेखक ही भाग लेते हैं। साथ ही भारत सरकार ने अंतरजाल पर हिन्दी के लिए बहुत सारी वेबसाइट उपलब्ध कराई है-
Www.word any where. In
Www.Lprc.iiit.AC.In
Www.3d I L.Mit.Gov. In
Www.CfILP.iAtb.in
Www cse.iitB.As.In
Www.nic.in.bliss.org
Www.bicthindikhoj.com
देश में हिन्दी बोलने वालों की संख्या बढ़ी है और लोग अंतरजाल के माध्यम से गूगल के जरिए हिन्दी में आसानी से संदेश भेजकर अपना काम कर रहे हैं।
अब तो हिन्दी सिनेमा भी लोग इसी पर देख लेते हैं। हिन्दी में अपनी पसंद के गाने सुनते हैं। यह खुशी की बात है कि,हिंदी पढ़ने वालों की संख्या में अंतरजाल के कारण बढ़ोतरी हुई है। इससे लोग हिन्दी बोलना सीख गए हैं, लिखना भी सीख रहे हैं। हिन्दी के लिए सिनेमा जगत तो अपनी भूमिका अदा कर ही रहा है। आज के समय में हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए यह सबसे अच्छा माध्यम है। हिन्दी का प्रचार प्रसार करने मे बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कहना गलत नहीं होगा कि,अंतरजाल के प्रयोग ने साहित्य में नई दिशा को खोल दिया है।
                                                   #गुलाबचन्द पटेल

परिचय : गांधी नगर निवासी गुलाबचन्द पटेल की पहचान कवि,लेखक और अनुवादक के साथ ही गुजरात में नशा मुक्ति अभियान के प्रणेता की भी है। हरि कृपा काव्य संग्रह हिन्दी और गुजराती भाषा में प्रकाशित हुआ है तो,’मौत का मुकाबला’ अनुवादित किया है। आपकी कहानियाँ अनुवादित होने के साथ ही प्रकाशन की प्रक्रिया में है। हिन्दी साहित्य सम्मेलन(प्रयाग)की ओर से हिन्दी साहित्य सम्मेलन में मुंबई,नागपुर और शिलांग में आलेख प्रस्तुत किया है। आपने शिक्षा का माध्यम मातृभाषा एवं राष्ट्रीय विकास में हिन्दी साहित्य की भूमिका विषय पर आलेख भी प्रस्तुत किया है। केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय और केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय(दिल्ली)द्वारा आयोजित हिन्दी नव लेखक शिविरों में दार्जिलिंग,पुणे,केरल,हरिद्वार और हैदराबाद में हिस्सा लिया है। हिन्दी के साथ ही आपका गुजराती लेखन भी जारी है। नशा मुक्ति अभियान के लिए गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी दवारा भी आपको सम्मानित किया जा चुका है तो,गुजरात की राज्यपाल डॉ. कमला बेनीवाल ने ‘धरती रत्न’ सम्मान दिया है। गुजराती में ‘चलो व्‍यसन मुक्‍त स्कूल एवं कॉलेज का निर्माण करें’ सहित व्‍यसन मुक्ति के लिए काफी लिखा है।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।