अनावश्यक दखल से बिखराव

0 0
Read Time3 Minute, 47 Second

pinki paturi

काहे का रिश्ता और काहे का दखल..आज मनुष्य इतना स्वार्थी और संवेदनहीन हो गया है कि,रिश्तों की अहमियत नहीं समझ सकता। आज कोई किसी के काम में अनावश्यक तो क्या आवश्यक दखल भी नहीं देता। कहीं बात का बतंगड़,तिल का ताड़ न बन जाए।
कोई किसी पर भरोसा नहीं करता,और करे तो कैसे करे,धोखा और अविश्वास का माहौल है,आस्तीन के कई सांप छिपे हुए हैं। किसी की जरा-सी भी दखलंदाजी निजता में सेंध लगाने जैसी लगती है। आज सास बहू को तो क्या, अपनी बेटी से भी कुछ नहीं कह पाती हैं।
यह सब तो होना ही था,नैतिकता का पतन,मानवीय मूल्यों का ह्रास होता हुआ जीवन,तो कई ऐसी चीजें होती हैं,जो नहीं होनी चाहिए और होती हैं। घर के बुजुर्गों का अनुभव और ज्ञान का इस्तेमाल भी नहीं किया जाता,क्योंकि वे खुद ही दखल नहीं देते कि,छोटों को उनकी बातें अनावश्यक न लगें।
हां,आज व्यक्ति की इतनी व्यक्तिगत स्वतंत्रता की चाह के कारण संयुक्त परिवार तो बचे नहीं,ऊपर से छोटे-छोटे फ्लैट में रहने के प्रचलन से मिलना- जुलना बंद होने से,हर समय आभासी दुनिया में खुशी ढूंढने से,सामंजस्य स्थापित नहीं हो पाता और हर बात ही दखल देने-सी लगती है। खैर,फिर भी यह बात सत्य है कि अनावश्यक दखल से रिश्तों में बिखराव तो होगा ही,तो न तुम मेरे मामले में दखल दो-न मैं तुम्हारे मामले में…जय राम जी की। ज्यादा से ज्यादा यह होगा कि,कहीं पुलिस निपटेगी,कहीं वकील,और बीमार पड़ो तो चिकित्सक तो है ही। मैं क्यों घरेलू नुस्खे बताऊं,क्या पता,ये भी दखलंदाजी कहीं अनावश्यक ही लगे।

#पिंकी परुथी ‘अनामिका’
परिचय: पिंकी परुथी ‘अनामिका’ राजस्थान राज्य के शहर बारां में रहती हैं। आपने उज्जैन से इलेक्ट्रिकल में बी.ई.की शिक्षा ली है। ४७ वर्षीय श्रीमति परुथी का जन्म स्थान उज्जैन ही है। गृहिणी हैं और गीत,गज़ल,भक्ति गीत सहित कविता,छंद,बाल कविता आदि लिखती हैं। आपकी रचनाएँ बारां और भोपाल में अक्सर प्रकाशित होती रहती हैं। पिंकी परुथी ने १९९२ में विवाह के बाद दिल्ली में कुछ समय व्याख्याता के रुप में नौकरी भी की है। बचपन से ही कलात्मक रुचियां होने से कला,संगीत, नृत्य,नाटक तथा निबंध लेखन आदि स्पर्धाओं में भाग लेकर पुरस्कृत होती रही हैं। दोनों बच्चों के पढ़ाई के लिए बाहर जाने के बाद सालभर पहले एक मित्र के कहने पर लिखना शुरु किया था,जो जारी है। लगभग 100 से ज्यादा कविताएं लिखी हैं। आपकी रचनाओं में आध्यात्म,ईश्वर भक्ति,नारी शक्ति साहस,धनात्मक-दृष्टिकोण शामिल हैं। कभी-कभी आसपास के वातावरण, किसी की परेशानी,प्रकृति और त्योहारों को भी लेखनी से छूती हैं।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

समय 

Sat Dec 16 , 2017
आज सुन रहा हूँ      मैं भूख की किलकारियां। मेरे घर में भी होती थी           केसर की क्यारियां॥ आज मेरे देश को क्या             हो गया हे राम जी! जिसे देखता हूँ वही             […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।