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जीवन के चार पल
बीत न जाएंग,
दुख संत्रास घुटन पीड़ा में
आओ हंस लें,जी लें गा लें।
हमसे ही तो है जमाना
हम चाहें तो पर्वत झुक जाए,
हम चाहें तो नदियों की
धारा मुड़ जाए।
तख्त जमीं पर आ जाए
ताज सिरों पर सज जाए,
फर्श अर्श पर,अर्श फर्श
पर आ जाए।
फिर कुछ पल तो
अपने हों जिनमें,
हंसकर जीवन अपना
बिता लें.. ॥
#डॉ. नीलम
परिचय: राजस्थान राज्य के उदयपुर में डॉ. नीलम रहती हैं। ७ दिसम्बर १९५८ आपकी जन्म तारीख तथा जन्म स्थान उदयपुर (राजस्थान)ही है। हिन्दी में आपने पी-एच.डी. करके अजमेर शिक्षा विभाग को कार्यक्षेत्र बना रखा है। सामाजिक रुप से भा.वि.परिषद में सक्रिय और अध्यक्ष पद का दायित्व भार निभा रही हैं। आपकी विधा-अतुकांत कविता, अकविता, आशुकाव्य आदि है।
आपके अनुसार जब मन के भाव अक्षरों के मोती बन जाते हैं,तब शब्द-शब्द बना धड़कनों की डोर में पिरोना ही लिखने का उद्देश्य है।
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Sat Dec 16 , 2017
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