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मित्र वही जो देख कभी भी,
आँखें नहीं चुराता है।
मित्र वही जो कथनी-करनी,
एक रंग दिखलाता है॥
मित्र वही जो पड़े मुसीबत,
आगे हाथ बढ़ाता है।
मित्र वही जो स्नेह का बंधन,
सबसे अधिक निभाता है॥
मित्र वही जो सदमार्गों पर,
चलना सदा सिखाता है।
मित्र वही जो एक झलक पा,
हर्षित हो मुस्काता है॥
मित्र वही जो चंचल चित् को,
सही राह पर लाता है।
मित्र वही जो कभी किसी भी,
समय नहीं इतराता है॥
मित्र वही जो सच कहने में,
जरा नहीं सकुचाता है।
मित्र वही जो मानवता के,
कर्म में बढ़ता जाता है॥
मित्र वही जो बैर भाव के,
अंकुर नहीं उगाता है।
मित्र वही जो मित्र के दुःख में,
पीठ नहीं दिखलाता है॥
#बिनोद कुमार ‘हंसौड़ा’
परिचय : बिनोद कुमार ‘हंसौड़ा’ का जन्म १९६९ का है। आप दरभंगा (बिहार)में प्रधान शिक्षक हैं। शैक्षिक योग्यता दोहरा एमए(इतिहास एवं शिक्षा)सहित बीटी,बीएड और प्रभाकर (संगीत)है। आपके नाम-बंटवारा (नाटक),तिरंगा झुकने नहीं देंगे, व्यवहार चालीसा और मेरी सांसें तेरा जीवन आदि पुस्तकें हैं। आपको राष्ट्रभाषा गौरव(मानद उपाधि, इलाहाबाद)सहित महाकवि विद्यापति साहित्य शिखर सम्मान (मानद उपाधि) और बेहतरीन शिक्षक हेतु स्वर्ण पदक सम्मान भी मिला है। साथ ही अनेक मंचो से भी सम्मानित हो चुके हैं
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