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आज सखी ‘शिक्षक यात्रा’ पर हम पंख लगा लेते हैं,
सब कुछ भूलकर आज नई उड़ान भरते हैं।
भूल जाते हैं आज २०-४० उम्र का फासला,
जी लेते हैं आज मिलकर जो पल हमें मिला।
वो सुबह उठकर घर की व्यस्तता,
सात बजे स्कूल पहुंचना,यही होता था पता।
स्कूल में तीन बजे तक बच्चों की जिम्मेदारी,
ऊपर से प्राचार्य और काम की जवाबदारी।
वो अंतिम काल में दिखता हुआ घर,
हापड़-थापड़ थी,पर लेना रहती थी घर की खबर।
राहत की साँस मिलती घर पहुंचकर,
शुरू होती फिर घर की जिम्मेदारी हम पर।
बच्चों की कक्षा-घर की व्यवस्था,
चलता फिर दौर,हो जाती रात नहीं चलता पता।
फिर एक सुबह हमारा कल इंतजार करेगी,
सुकून बस यही,हम ही तो देश का भविष्य संवारेंगी।
आज इस यात्रा पर दिल खोलकर हंस-जी लेते हैं,
कल फिर एक नया नागरिक बनाने की शपथ लेते हैं॥
#प्रेरणा सेंद्रे
परिचय: प्रेरणा सेंद्रे इन्दौर में रहती हैं। आपकी शिक्षा एमएससी और बीएड(उ.प्र.) है। साथ ही योग का कोर्स(म.प्र.) भी किया है। आप शौकियाना लेखन करती हैं। लेखन के लिए भोपाल में सम्मानित हो चुकी हैं। वर्तमान में योग शिक्षिका के पद पर कार्यरत हैं।
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