काम नही चलता

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subhashini bhardwaj
कुछ विष भी पीना पडता है,
अमृत से मीठे होठो को,
आखो का खारा जल केवल,
पीने हे काम नही चलता,
अक्सर सूरज के रहते भी,
है राते काली होती,
रह जाती है धरती सूखी,
बरसाते फिर भी है होती,
हर सूरज है ज्योति चुराता,
हर चाद अन्धेरा है देता,
सूखी डाली लिये पतझड की,
है बगिया मे सावन आता,
जीना कुछ दिन पडता है,
बोझ समझ कर जीवन को,
खुशियो की छाया मे केवल,
जीने से काम नही चलता,
रून झुन पायल के पीछे,
है कुछ पीडित क्रन्दन होते,
निगेरी मे भी फूलो की,
है अभिशापित हर सरगम के,
है हिचकी का भी स्वर होता,
हर आलिगन हर सरिता का,
है धीरे से सागर रोता,
नजरो से छुपकर दुनिया की,
पडता सीना है जख्मो को,
मुस्काते अधरो को केवल,
सीने से काम नही चलता,
देती है हर निशा निमंत्रण,
है हर सूरज हाथ ऊठाता,
है जीवन की दुल्हन का,
आगे ही बढता डोला जाता,
है ससुराल पहुचने के पहले,
बूढी हो दुल्हन जाती,
है बचपन की ऊठती डोली,
है अर्थी यौवन की जाती,
जाना पडता है मरघट भी,
इस जीवन मे बराती को,
सान्सो के मंडप तक केवल,
जाने से काम नही चलता,
आखो का खारा जल केवल,
पीने से काम नही चलता ,,
#सुभाषिनी भारद्वाज( शुभी)
 
परिचय-
नाम– सुभाषिनी भारद्वाज
साहित्यिक उपनाम—-“आधुनिक मीरा”  कालेज द्वारा दिया गया नाम,, पुरस्कार सहित
राज्य–उत्तर प्रदेश
शहर—कानपुर
शिक्षा—वाणिज्य,स्नातक, लेखान्कन, पी•सी• एम(इन्टरमीडियट) एम• डी• सी टी , ए •डी •सी •ए , कोर्स आन कम्प्यूटर कानसेप्ट,, स्काउट एण्ड गाईड 
कार्यक्षेत्र– लेखान्कन
विधा–आलोचना, कहानी , कविता,
सम्मान— शिक्षा , साहित्य तथा संगीत के क्षेत्र मे,
अन्य उपलब्धिया– कालेज स्तर प्रेसीडेन्ट,,  मेरी रचना अन्य मैगजीन मे प्रकाशित हो चुकी है, युवा महिला साहित्य संगम की महासचिव वर्तमान  (राट्रीय अध्यक्ष, राष्ट्रीय कवि, श्री बिहारी लाल तिवारी “बाबा)  की शिष्या
लेखन का उद्देश्य–समाज को नयी दिशा प्रदान करना,, देश सेवा

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

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