
भैया मेरे ! अबकी बार तुम,
इस रक्षाबंधन पर न आना।
चारो तरफ कोरोना फैला है
घर पर ही रक्षाबंधन मनाना।।
कहना मानना बड़ी बहन का,
तुम मेरे हो छोटे से प्यारे भैया
भाई बहन का प्यार बना रहे,
जैसे फूल व खुश्बू का भैया।।
बंधवा लेना मां से रेशम डोरी,
इसे बहन की राखी समझना।
चारो तरफ महामारी फैली है
घर से बाहर न तुम निकलना।
अबकी बार राखी नहीं भेजी,
इसका गिला जरा न करना।
मां से ही मिठाई बनवा लेना,
घर पर ही रक्षाबंधन मनाना।।
कहती थी कभी मै तुमसे,
भैया राखी बंधन को निभाना,
कह रही वहीं बहन तुमसे वह,
भैया इस राखी पर मत आना,
भैया यह मेरा आदेश नहीं है,
यह है प्यार का तुम्हे संदेशा।
इसको ही तुम राखी समझना
इसमें करना न कोई अंदेशा।।
जाना पड़े अगर घर से बाहर,
मुंह पर मास्क लगाकर जाना।
दो गज की दूरी सबसे रखना,
कोरोना से बच कर तुम रहना।।
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम