सियासत

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जो सियासत के सांचे में ढल गया,
हाँ, वही तो इस दौर में चल गया।
यहां उसूलों की बात सुनता कौन है,
शख्स जी हुजूरी वाला पल गया।
ये कलम,तक़रीरें भी ख़ौफ़ज़दा हैं,
जाने कौन कब जहां से टल गया।
मासूम भी हो रहे हैं हवस के शिकार,
अब नैतिकता का मंजर ही बदल गया।
फक्र बहुत था उसे अपने उसूलों पर,
पर मिट्टी के खिलौने से ही बहल गया।
मुनासिफ थी हालात पर एतराज़ बयानी,
मगर खुद ही आतिश-
ए-इताब में जल गया।
आ गया था मैं भी हादसों की गिरफ्त में,
‘संतोष’ पर ठोकरें खाकर सम्हल गया॥

                                                   #सन्तोष कुमार नेमा ‘संतोष’

परिचय : लेखन के क्षेत्र में सन्तोष कुमार नेमा ‘संतोष’ जबलपुर से ताल्लुक रखते हैं। आपका जन्म मध्यप्रदेश के सिवनी जिले के आदेगांव ग्राम में 1961 में हुआ है। आपके पिता देवीचरण नेमा(स्व.) ने माता जी पर कई भजन लिखें हैं, जिनका प्रकाशन भी हुआ है।1982 से डाक विभाग में सेवारत होकर आप प्रांतीय स्तर की ‘यूनियन वार्ता’ बुलेटिन का लगातार संपादन कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ में भी प्रांतीय सचिव चुने जाने पर छत्तीसगढ़ पोस्ट का भी संपादन लगातार किया है। राष्ट्रीय स्तर पर लगातार पदों पर आसीन रहे हैं।आपकी रचनाएँ स्थानीय समाचार पत्रों में प्रमुखता से छपती रही हैं। वर्त्तमान में पत्रिका के एक्सपोज कालम में लगातार प्रकाशन जारी है।आपको गुंजन कला सदन (जबलपुर) द्वारा काव्य प्रकाश अलंकरण से सम्मान्नित किया जा चुका है। विभिन्न सामाजिक संस्थाओं में भी आप सक्रिय हैं।आपको कविताएं,व्यंग्य तथा ग़ज़ल आदि लिखने में काफी रुचि है। आप ब्लॉग भी लिखते हैं। शीघ्र ही आपका पहला काब्य संग्रह प्रकाशित होने जा रहा है।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

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