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गधे में गधापन,
कुत्ते में कुत्तापन कूट-कूटकर भर गया है।
पर अफसोस मानव से,
मानवपन कितना पिछड़ गया है॥
कहने को उन्नतिवान,ज्ञानवान,
सभ्यवान कहलाता है।
पर देख जरा तू अपने-आप में
कितना सिमट गया है॥
#दशरथदास बैरागी
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