अन्तर्मन की पीड़ा

0 0
Read Time2 Minute, 2 Second
shalini-300x203
दिल के रिश्ते जब हिसाब करते हैं,
हर दिन हर उत्सव उदास करते हैं।
समय की धारा जब विपरीत बहती,
तो आँखों से आँसू सवाल करते हैं॥
करूण वेदना से प्लावित दो ह्रदय,
अन्तर्मन की पीड़ा का जवाब भरते हैं।
अनसुलझे सम्बन्धों की गुत्थी को,
बार-बार सुलझाने का प्रयास करते हैं॥
समझ जाए यदि अन्तर्मन द्वन्द्व को साथी,
तो रिश्ते सवाल और जवाब नहीं करते हैं।
मिलन-बिछुड़न तो परिणति है प्रेम की,
बिछुड़े हुए रिश्ते बेवजह आवाज नहीं करते हैं॥
बसी है ह्रदय में सम्बन्धों की तस्वीर ऐसे,
जो राधे-कृष्ण की मूरत को साकार करते हैं।
अन्तर्मन की पीड़ा के दम्भ को समेटते हुए,
लफ्जों में सुरीली साज का इन्तजार करते हैं॥
धूमिल न हो प्रेम की पराकाष्ठा,
सदियों तक यही उम्मीद करते हैं।
अन्तर्मन के भावों से अभिव्यक्त चल,
‘शालू’ प्रेम की सुन्दर तस्वीर उकेरते हैं॥

                                                     #शालिनी साहू

परिचय : शालिनी साहू इस दुनिया में १५अगस्त १९९२ को आई हैं और उ.प्र. के ऊँचाहार(जिला रायबरेली)में रहती है। एमए(हिन्दी साहित्य और शिक्षाशास्त्र)के साथ ही नेट, बी.एड एवं शोध कार्य जारी है। बतौर शोधार्थी भी प्रकाशित साहित्य-‘उड़ना सिखा गया’,’तमाम यादें’आपकी उपलब्धि है। इंदिरा गांधी भाषा सम्मान आपको पुरस्कार मिला है तो,हिन्दी साहित्य में कानपुर विश्वविद्यालय में द्वितीय स्थान पाया है। आपको कविताएँ लिखना बहुत पसंद है।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

आ कुछ करें मिलने के लिए

Sat Nov 18 , 2017
चूल्हा भी धू-धू करे, जलने के लिए। दिल भी शुकुर-शुकुर करे, धड़कने के लिए॥ पक्षी भी फुर्र-फुर्र करे, उड़ने के लिए। साँसें भी हुकुर-हुकुर करें, चलने के लिए॥ मेरा मन भी फुसुर-फुसुर करे, तुझे प्यार करने के लिए। आ गुटर-गूँ करें, दोनों मिलने के लिए॥           […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।