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मैं रोकता भी कैसे उसे,जो मेरा हो के भी मेरा नहीं था,
मैंने तो रुह की गहराई में जाकर चाहा था उसे…
वो हृदयहीन था,समझता क्या जज्बात मेरे।
रिश्ते निभाने की फितरत भी खूब थी उसमें,
मुझसे ही रिश्ता निभाने की ताब न ला सका।
शाख पे लहलहाते फूलों की तारीफ जरुर करता था,
पर पत्ता-पत्ता तोड़कर नफरत अपनी जताता रहा॥
#डॉ. नीलम
परिचय: राजस्थान राज्य के उदयपुर में डॉ. नीलम रहती हैं। ७ दिसम्बर १९५८ आपकी जन्म तारीख तथा जन्म स्थान उदयपुर (राजस्थान)ही है। हिन्दी में आपने पी-एच.डी. करके अजमेर शिक्षा विभाग को कार्यक्षेत्र बना रखा है। सामाजिक रुप से भा.वि.परिषद में सक्रिय और अध्यक्ष पद का दायित्व भार निभा रही हैं। आपकी विधा-अतुकांत कविता, अकविता, आशुकाव्य आदि है।
आपके अनुसार जब मन के भाव अक्षरों के मोती बन जाते हैं,तब शब्द-शब्द बना धड़कनों की डोर में पिरोना ही लिखने का उद्देश्य है।
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