Read Time1 Minute, 33 Second
रूठे-रूठे यार मनाऊं,
लिखूं कविता उसे सुनाऊं।
दिल की धड़कन वो बन जाए,
मैं उसकी तड़पन बन जाऊं।
बेचैनी-बेताबी का आलम,
कदम सम्भालो,मैं समझाऊं।
दूर-दूर होने में क्या है,
चूर-चूर न मैं हो जाऊं।
तेरी बातों का ही असर,
मत रूठो,मैं न खो जाऊं।
‘मनु’ पुकारे आ भी जाओ,
कहीं बहुत दूर मैं निकल जाऊं॥
#मानक लाल ‘मनु’
परिचय : मानक लाल का साहित्यिक उपनाम-मनु है। आपकी जन्मतिथि-१५ मार्च १९८३ और जन्म स्थान-गाडरवारा शहर (मध्यप्रदेश) है। वर्तमान में आडेगाव कला में रहते हैं। गाडरवारा (नरसिंगपुर)के मनु की शिक्षा-एम.ए.(हिन्दी साहित्य-राजनीति) है। कार्यक्षेत्र-सहायक अध्यापक का है। सामाजिक क्षेत्र में आप सक्रिय रक्तदाता हैं। लेखन विधा-कविता तथा ग़ज़ल है। स्थानीय समाचार पत्रों में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लेखन गतिविधियों के लिए कई सामाजिक-साहित्यिक संस्थाओं की सदस्यता ले रखी है। आपके लेखन का उद्देश्य-सामाजिक सरोकार,हिंदी की सेवा,जनजागरुक करना तथा राष्ट्र और साहित्यिक सेवा करना है।
Post Views:
540
Fri Nov 10 , 2017
बेटे का सम्मान जगत में,बेटी का सम्मान नहीं, दुनिया वालों ये तो बता दो,बेटी क्या संतान नहीं….। बेटा क्या लेकर के आया,बेटी क्या लाई नहीं, बहिना के बिना सूनी-सूनी,हर भाई की कलाई है। ऱक्षाबंधन-भाई दूज,कैसे तुम सब भूल गए, दुनिया वालों ये तो बता दो,बेटी क्या संतान नहीं॥ बेटे का […]