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मिलन तो हो ठीक है,मिलन की तो कल्पना ही बड़ी सुखद है ,
और बिछोह तो ठीक,बिछोह की कल्पना ही दुखद है।
मिलन हर कोई चाहता है,बिछोह कोई नहीं,
पर विडम्बना तो देखो,दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं।
दोनों एक दूसरे के साथ ही चलते हैं,
एक सुख और दूसरा दुख का पर्याय
बन जाते हैं।
पर मिलन के बाद बिछोह,
और बिछोह के बाद मिलन…
जीवन में रोचकता लाता है,
और हम मिलन में तो खुश होते ही हैं।
पर बिछोह के बाद मिलन की जिज्ञासा के साथ,
फिर मिलन की खुशी का आवरण ओढ़ खुश होने लगते हैं॥
#अरविंद ताम्रकार ‘सपना’
परिचय : श्रीमति अरविंद ताम्रकार ‘सपना’ की शिक्षा एमए(हिन्दी साहित्य)है।आपकी रुचि लेखन और छोटे बच्चों को पढ़ाने के साथ ही जरुरतमंद की सामर्थ्यानुसार मदद करने में है।आप अपने रचित भजन खुद गाकर व लेखन द्वारा अपने मनोभावों को चित्रित करती हैं। सिवनी(म.प्र.)के समता नगर में आप रहती हैं।
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