साक्षी

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beni prasad

जब समर को थी ज़रूरत

कुछ साँसों की

तब एक साँस बनकर तुम उभरी

कितनों की बातें

कितनों के लक्ष्य

सधे तुम पर

पर तुम उभरी

तुमने जीना चाहा

उनसे दूर

जो घोंठते थे

गला तुम्हारा

मृत्यु की शय्या

पर लेटे भीष्म की भाँति

जब बेबस थी, लाचार थी तुम

तब तुमने लिया, संज्ञान तुम्हारा

जब जीत रहा है

दैत्य वर्ग

इस समर को एक तरफ़ा

तब सन्नाटे की

एक आवाज़ बनी तुम

ड़र के मारे

रूँध गये थे

गले जो सारे

उनमें स्वर का

एक एहसास बनी तुम

करो भरोसा

हो नहीं अकेली

पीछे तुम्हारी सिसकियों के

हज़ारों शोर खड़े हैं

ड़र कर छिपे हुए थे

जो योद्धा

आँसू तुम्हारे उनके ख़ातिर

नये अस्त्र बने हैं

तुम जीतोगी

क्योंकि तुमने

लड़ना शुरू किया था

समर टूट रहा था जब

तब लक्ष्य सिद्ध किया था

परिचय:
नाम – बेनी प्रसाद राठोर
स्थान- बाराँ (राजस्थान)
शिक्षा- B.Sc. (गणित)
कार्यक्षेत्र- विध्यार्थी

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मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।