जैसे सुख को काटा तूने, दुःख भी तू हीं काटेगा। औरों की तरह ही ईश्वर, तेरी भी खुशियां बाँटेगा॥ तेरे सब्र की परख भी होगी, पाँव तेरा दुःख चाटेगा। और समय का मरहम लेकर, ज़ख्म तेरा सब पाटेगा॥ आज नहीं तो कल या परसों, या फिर नरसों-बरसों बाद। तेरे  […]

इस दुनिया में आए हैं हम, इसका भी कोई कारण होगा। इस दुनिया को तारने वाला, कोई तो एक तारण होगा॥ प्रतिभाएँ सभी में होती, हर जीव व जन्तु में। बिच्छू में क्यों डंक है पैनी, इसका भी कोई कारण होगा ? सुख-दुख जीवन के दो सत्य, एक आता,एक जाता […]

नौ   मास   उदरी   में    गुदरी, तुम भी क्या रख  सकते हो? पाँच  किलो का पीठ पे बोझा, बाँध पैदल क्या चल सकते हो ? माँ है वह यह काम जो करती , तुम भी क्या यह कर सकते हो ? माँ  की  ममता के   लिए  मात्र, क्या दो दिन […]

ईद उन्हें मुबारक हो, होली इन्हें मुबारक हो। मेरे लिए दो रोटी का, कोई तो जुगाड़क हो॥ दंगा  उन्हें     मुबारक   हो, नंगा  इन्हें    मुबारक    हो। गरीबों  की दुनिया में कोई, गरीबी    का   उबारक हो॥ मंदिर  उन्हें   मुबारक   हो, मस्जिद इन्हें  मुबारक  हो। भूखे का  भगवान भोजन, […]

आज कु. मनीषा सिंह को देखने (शादी के पूर्व) के लिए दुर्गा मन्दिर पर वर पक्ष के सभी लोग समय से पंहुच चुके थेl मनीषा की मां मान्ती सिंह भी ब्यूटी पार्लर से अपनी बेटी को खूब सजा-धजाकर उक्त स्थान पर समय से पहुंच चुकी थीl वधू पक्ष के लोग […]

रामपुर का रामू घर के सामने खड़ा होकर उनका बड़े ही बेसब्री से इन्तजार कर रहा था। उनकी सेवाभगत करने के लिए कभी वह घर में जाता था कि, उनके खाने-पीने, रहने और बैठने की व्यवस्था देखने के लिए तो कभी बाहर आकर उनकी बाट जोहता। तभी रामू के पिता […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।