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आ ही जाता है,दिल जिस पर आने को है,
ये ख़बर तो हो गई,इस ज़माने को है।
जान कर भी बनते हैं अंजान वो,
हर ख़बर दिल की मेरे दीवाने को है।
सब्र का मेरे न यूँ इम्तहान न लो,
बेक़रारी अब हद से बढ़ जाने को है।
बन्द दरवाजे तुम दिल के खोल दो,
हर ख़ुशी बेताब दिल में समाने को है।
वक़्त की करना शिकायत छोड़ दो,
वक़्त तो आया सदा आज़माने को है।
जब भी शमा महफ़िल में जलने लगी,
जलना तो हर हाल में अब परवाने को है।
राज-ए-दिल हमने तो बता दिया तुमको,
बाक़ी न बचा अब कुछ छुपाने को है।
इंतजार और इंतजार आख़िर कब तलक,
जी रहे तेरी एक झलक पाने को है॥
#तारा प्रजापत ‘प्रीत’
परिचय: तारा प्रजापत ‘प्रीत’ का घर परम्पराओं के खास धनी राज्य राजस्थान के जोधपुर स्थित रातानाड़ामें है। आपकी जन्मतिथि-१ जून १९५७ और जन्म-स्थान भी जोधपुर(राज.) ही है। बी.ए. शिक्षित तारा प्रजापत का कार्यक्षेत्र-गृहस्थी है। पत्रिकाओं और दो पुस्तकों में आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई है तो अन्य माध्यमों में भी प्रसारित हैं। लेखन का उद्देश्य अभी तक तो शौक ही है।
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