कर्म ही तो धर्म है

0 0
Read Time1 Minute, 30 Second
ranjana
रहिए हमेशा कर्मरत यह कर्म ही तो धर्म है।
संवाद होते हैं मधुर प्रतिकूल लेकिन कर्म हैll 
 
संसार माया मोह का पहने कवच ऐसा खड़ा,
है भेदना सम्भव नहीं,कितना कठिन यह वर्म हैll
 
परवाह करता कौन है कोई दुखी हो या मरे,
समझा कोई सकता नहीं,दुनिया बड़ी बेशर्म हैll 
 
तूफान हिंसा के उठे,दहशत दिशाओं में भरी,
सुख-शांति की क्या बात हो.चलती हवा भी गर्म हैll
 
है योग्यता इनमें नहीं,शिक्षा ग्रहण कोई करें,
हर दण्ड पच जाता इन्हें,मोटा बहुत ही चर्म हैll 
 
ये मान या मद मोह,विचलित कर उसे सकते नहीं,
जिसमें बसे श्रीराम रब व्यवहार उसका नर्म हैll 
 
तज स्वार्थ पर उपकार रत रहता सुजन जो सर्वदा,
वह साधु धार्मिक शुद्ध मन नित पालता सदधर्म हैll 

                                                         #डॉ. रंजना वर्मा

परिचय : डॉ. रंजना वर्मा का जन्म १५  जनवरी १९५२ का है और आप फैज़ाबाद(उ.प्र.) के मुगलपुरा(हैदरगंज वार्ड) की मूल निवासी हैंl आप वर्तमान में  पूना के हिन्जेवाड़ी स्थित मरुंजी विलेज( महाराष्ट्र)में आसीन हैंl आप लेखन में नवगीत अधिक रचती हैंl 

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

दीप जलाएं...

Wed Oct 11 , 2017
दीप घर-घर हम जलाएं दोस्तों। हिन्द को रोशन बनाएं दोस्तोंll    नफरतों की बस्तियाँ हो दफन। प्रीत के हम गीत सुनाएं दोस्तोंll    बंजर जमीं पर पौध लगाएं हम। धरती को फिर से सजाएं दोस्तोंll    खेतों में इमारतें दिख रही है जहां। उनको गिराकर खेत बनाएं दोस्तोंll    विश्वास […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।