धरती वंदना

0 0
Read Time2 Minute, 2 Second
naval
हे मां, तेरी है शान निराली,
आभा अदभुत चमकत न्यारी।
               तेरे सारे पेड़ ये झूमें,
               हवा के शीतल झोंकों से
               मन भी कंपित-सा होकर,
               भरता पंछी बन उडारी।
हे मां, तेरी है शान निराली,
आभा अदभुत चमकत न्यारी।
              स्पर्श अदृश्य कोमल सुगंधमय,
               हवा में सारंगी के तार की लय
               झूम जाना चाहता हूं खुद
               बातें भूलकर मैं सारी।
हे मां,तेरी है शान निराली,
आभा अदभुत चमकत न्यारी।
              नैनों में एक दर्पण जैसे,
              हरियाली को खुद में समेटे
            फूलों की सुगंध सांसों में भर के,
               झूम ये जाती हैं सारी।
हे मां,तेरी है शान निराली,
आभा अदभुत चमकत न्यारी॥
                                                                          #नवल पाल
परिचय : नवल पाल की शिक्षा प्रभाकर सहित एम.ए.,बी.एड.है। आप हिन्दी,अंग्रेजी,उर्दू भाषा का ज्ञान रखते हैं। हरियाणा राज्य के जिला झज्जर में आप बसे हुए हैं। श्री पाल की प्रकाशित पुस्तकों में मुख्य रुप से यादें (काव्य  संग्रह),उजला सवेरा (काव्य संग्रह),नारी की व्यथा (काव्य संग्रह),कुमुदिनी और वतन की ओर वापसी (दोनों कहानी संग्रह)आदि है। साथ ही ऑनलाईन पुस्तकें (हिन्दी का छायावादी युगीन काव्य,गौतम की कथा आदि)भी प्रक्रिया में हैं। कई भारतीय समाचार पत्रों के साथ ही विदेशी पत्रिकाओं में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हैं। सम्मान व पुरस्कार के रुप में प्रज्ञा साहित्य मंच( रोहतक),हिन्दी अकादमी(दिल्ली) तथा  अन्य मंचों द्वारा भी आप सम्मानित हुए हैं। 

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

प्रेम सिर्फ प्रेम है

Mon Oct 9 , 2017
प्रेम समर्पण है, अधिकार नहीं। प्रेम पावनता है, वासना नहीं। प्रेम शक्ति है, कमज़ोरी नहीं। प्रेम त्याग है, स्वार्थ नहीं। प्रेम तृप्ति है, प्यास नहीं। प्रेम शीतल है, ताप नहीं। प्रेम छाँव है, धूप नहीं। प्रेम विश्वास है, फ़रेब नहीं। प्रेम व्यापक है, संकुचित नहीं। प्रेम गंम्भीर सागर है, चंचल […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।