Read Time39 Second

लगती हमें कभी-कभी आसान ज़िन्दगी,
लगती हमें कभी यहां हैरान ज़िन्दगी।
रफ़्तार से चला समय मालूम ही नहीं,
कब भीड़ से हुई यहां वीरान ज़िन्दगी।
हर रोशनी के बाद तम की रीत क्यों यहाँ,
है मुस्कुराहटों में परेशान ज़िन्दगी।
इस ज़िन्दगी को ज़िन्दगी भर चाहते सभी,
बस चार दिन रहे यहां मेहमान ज़िन्दगी।
हम तोड़कर जहां के रिश्ते चाहते इसे,
फिर भी रहे हमेशा बेईमान ज़िन्दगी।
#नरेन्द्रपाल जैन,उदयपुर (राजस्थान)
Post Views:
9

