ग़ज़ल: इश्क़

0 0
Read Time1 Minute, 50 Second
shivkumarbilgrami
हँसते रहते हो ग़म ओ रंज छुपाने के लिए,
तुम भी क्या ख़ूब पहेली हो ज़माने के लिए।ख़ुद से रुठे हुए क्यों बैठे हो तन्हाई में,
कौन आएगा यहाँ तुमको मनाने के लिए।

ग़म भुलाने की कोई और ही अब राह करें,
मयकशी राह नहीं ग़म को भुलाने के लिए।

अश्क़ पीने से तपिश और भी बढ़ जाती है,
बहने दो अश्क़ ये होते हैं बहाने के लिए।

इश्क़ जब हो ही गया है तो शिकायत क्या है,
इश्क़ होता ही है कमबख़्त सताने के लिए॥

                                                         #शिवकुमार बिलगरामी
परिचय : शिवकुमार बिलगरामी आज के दौर के ऐसे गीतकार / शायर हैं,जो अपने मौलिक लेखन चिंतन के लिए जाने जाते हैं। उत्तरप्रदेश के हरदोई जिला की बिलग्राम तहसील में १२ अक्टूबर १९६३ को  जन्मे शिवकुमार बिलगरामी ने लखनऊ विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम.ए. किया और उसके बाद दिल्ली में पत्रकारिता पेशे को अपनाकर अपने भविष्य की शुरुआत की। सम्प्रति से आप भारतीय संसद में संपादक के पद पर कार्यरत हैं। श्री बिलगरामी के गीतों-ग़ज़लों में इतनी अधिक गेयता और नयापन है कि, देश विदेश के कई गायक आज इनके  गीतों-ग़ज़लों को अपनी आवाज़ दे रहे हैं। आपका पहला संग्रह वर्ष २०१५ में ‘कहकशाँ'(ग़ज़ल संग्रह) प्रकाशित हुआ है। आपका निवास उत्तर प्रदेश के गाज़ियबाद स्थित इंदिरापुरम में है।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

आक्रोश

Wed Sep 20 , 2017
विद्या का मंदिर खूनी जल्लादों का बन घर बैठा, पता नहीं,कब-कहां कौन है कालसर्प बनकर बैठा। चीत्कार-कोहराम मचा है, हर आँख में नीर है, प्रिय मासूम प्रद्युमन का क्यों लहूलुहान शरीर है। मां की आंखें रो-रोकर पथराईं है, बार-बार बाबू बेटा चिल्लाईं है। पापा की आँखों में अंधियारा छाया, बदहवास […]

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।