कहीं खो न जाए हिंदी

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amit chandrvanshi
संस्कृत से आई है हिंदी,
हिन्द की पहचान है हिंदी।
जनमानस की भाषा है,सरलता है;
हमारी `मातृभाषा` है,ममतामयी हैll

क्या थी हिंदी? कहाँ से आई हिंदी?,
बनकर रह गई हम सबकी जान।
पहचान स्वाभिमान बनकर है,
चारों ओर है एकता का बंधन हैll

प्यार,एकता,शांति की अनूठी छाप है,
`राष्ट्रभाषा` भारत के दर्शन कराती है।
अनेकता को एकता में बांधती है,
दशो-दिशा में खुशबू बिखेरती हैll

अत्याचारों का जब हुआ प्रहार,
कलम उठाई साहित्यकारों ने।
देश में अराजकता फैली थी,
तब शांति का पाठ दिया हिंदी नेll

मुझसे पहचान है आप सबकी,
मेरे बिना कुछ नहीं है संस्कृति।
गर जिंदगी में मैं खो गई कहीं?
डूब जाएगी हिन्द की संस्कृतिll

कम समय में मैं बूढ़ी हो गई,
कहने को बहुत,पर शिकायत किससे?
दूजा व्यवहार आप सब कर रहे,
फिर हाथ सामने फैलाऊँ किसके?

अंग्रेजी,जर्मन,फ्रेंच का जमाना है,
तकनीकी में आगे बढ़ना है।
मुझे रौंदकर आगे बढ़ जाओगे,
पर संस्कृति खतरे में ले जाओगेll

क्या बना बैठे? कहते हो `मातृभाषा`,
करते हो दूजा व्यवहार।
मुझे अभी जन-जन में फैलना है,
चाहिए मुझे मेरा अधिकारll

क्यों नहीं जब रशिया में रशियन,
चाइना में चीनी,अमेरिका में अमेरिकन
अंग्रेजी,फिर मुझे हिन्दी में ज्ञान
देने की इजाजत क्यों नहीं?

शिकायत बहुत है जाऊं किधर?
खोने का डर सता रहा है मुझे।
हिन्द की शान हिंदी आजादी तक थी?
अब क्यों नहीं? मैं तो हमेशा
एकता का सन्देश दे जाती हूं,
फिर मेरे साथ ही ऐसा
दूजा व्यवहार क्यों…?

                                                        #अमित चन्द्रवंशी ‘सुपा’

परिचय:अमित चन्द्रवंशी ‘सुपा’ नाम से लिखते हैं। १८ वर्ष उम्र और अभी विद्यार्थी ही हैं। आपका निवास छत्तीसगढ़ के रामनगर(कवर्धा) में है।कविता,कहानी,गीत,गजल और निबन्ध आदि भी लिखते हैं। 

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।