साहित्य से इतर कुछ भी
नहीं पढ़ा मैंने,
जब टटोला अक्षरों को
अक्षरों की ध्वनियों को,
जीवन का प्रारंभ
माँ से हुआ,
और अन्त भी
‘म’ मृत्यु से ही होगा
जीवन का सत्य
यही है,
शेष सब भ्रमित
अस्तित्वहीन
क्षणिक खुशियाँ,
विचलित करती
भटकाती हैं,
मगर सत्य को न
झुठला पाती
न ही मिटा पाती है,
‘म’ में ही समाया
सारा संसार
जीवन का सार,
वेद स्मृतियों में
माँ की महिमा का ज्ञान
समस्त चराचर में
हुआ माँ का ध्यान,
माँ ही ज्ञेय है
माँ ही ज्ञाता है
यही सत्य है,
यही संकल्प है
यही विकल्प है॥
#डॉ. ज्योत्स्ना सिंह राजावत
परिचय: डॉ. ज्योत्स्ना सिंह राजावत का रिश्ता मध्यप्रदेश राज्य ग्वालियर से है। आपका जन्म स्थान-उत्तरप्रदेश तथा जन्मतिथि-१९ नवम्बर १९७३ है। एम.ए.,पी.एच-डी.और बीएड शिक्षित डॉ.ज्योत्स्ना का कार्यक्षेत्र-विश्वविद्यालय (ग्वालियर) है। सामाजिक क्षेत्र में आप महिला मण्डलों और कई साहित्यिक मंचों से जुड़ी हुई हैं। आप लेखन विधा में कविता,(हाइकू, मुक्तक) अधिक रचती हैं। डॉ. सिंह मध्यप्रदेश के ग्वालियर स्थित सरकारी विश्वविद्यालय में प्राध्यापक(संस्कृत विभाग) के रुप में कार्यरत हैं। आपकी रचनाएं कई पत्रों में छपी हैं। विभिन्न गतिविधियों में करीब २५ सम्मान हासिल हुए हैं तो उपलब्धि यह है कि,श्रेष्ठ शिक्षण सम्मान भी मिला है। आपके लेखन का उद्देश्य-समाज का उत्थान,जनकल्याण और समसामायिक विषयों पर अपनी भावना व्यक्त करना है।