अभिमान

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manila kumari

आरव बड़ा अफसर था।  उसके अधीन कई कर्मचारी कार्यरत थे। एक बार उसे ऊपर से आदेश मिला कि इस वर्ष अच्छा प्रदर्शन करने वाले 10 कर्मचारियों की सूची बनाएँ , जिन्हें सम्मानित किया जायगा ।
आरव ने उसके कार्यालय में हमेशा दिखने वाले वैसे लोगों को चयन समिति का सदस्य बनाया जो अलग अलग कार्य क्षेत्र से थे।  इस चयन समिति के सदस्यों ने मात्र एक दिन में हज़ार लोगों में से 10 लोगों का नाम  चयनित कर देने का वादा किया। एक दिन में यह काम चयन समिति के सदस्यों को कठिन लगा, सो उन्होंने एक सरल उपाय अपनाया – जो लोग उनके आसपास तथा कार्यालय में डेरा जमाते थे, तथा  जो पुरस्कार के लिए उन्हें  कुछ दे सकते थे  में 10 का चयन कर  लिया l काम भी आसान और कोई माथापच्ची भी नहीं । इसप्रकार वादा के अनुरूप ही अगले दिन 10 लोगों का नाम आरव के टेबल पर चयन समिति के सदस्यों ने रख दिया।
आरव ने तुरंत उस सूची को देखा और अगले ही दिन पुरस्कार देने की घोषणा कर दी। ताकि वह अपने उच्च पदाधिकारियों को यह दिखा सके कि वह कितना सक्षम अफ़सर है और कितनी तेजी से काम  कर सकता है l अगले दिन  पुरस्कार भी उन कर्मचारियों को दिया गया, जिनके नाम की अनुशंसा चयन समिति ने की थी।
जो लोग वाकई में पुरस्कार के हकदार थे, उन्हें पुरस्कार नहीं मिलना था सो नहीं मिला । वास्तव में लोगों ने जब इस पर प्रश्न किया तो आरव ने उनका चयन नहीं करने के पीछे कई तर्क दिया  ।

सो जो चाहा वही आरव ने किया।  यदि वह लोगों की बातों को सुनता और सही से छानबीन करता तो सही लोगों को ही पुरस्कार मिलता, पर उसने तो पुरस्कार दे दिया। अब यदि उसने अपनी गलती मानकर सूची में सुधार किया तो वह गलत साबित होगा। इससे उसका अभिमान आहत होता, सो उसने अभिमान और सच्चाई में अभिमान का चयन किया ताकि वह अपने उच्चस्थ पदाधिकारियों में सबसे लायक बना रहे

#डॉ मनीला कुमारी

परिचय : झारखंड के सरायकेला खरसावाँ जिले के अंतर्गत हथियाडीह में 14 नवम्बर 1978 ई0 में जन्म हुआ। प्रारंभिक शिक्षा गाँव के ही स्कूल में हुआ। उच्च शिक्षा डी बी एम एस कदमा गर्ल्स हाई स्कूल से प्राप्त किया और विश्वविद्यालयी शिक्षा जमशेदपुर वीमेन्स कॉलेज से प्राप्त किया। कई राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय सम्मेलनों में पत्र प्रस्तुत किया ।ज्वलंत समस्याओं के प्रति प्रतिक्रिया विविध पत्र- पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही है। प्रतिलिपि और नारायणी साहित्यिक संस्था से जुड़ी हुई हैं। हिन्दी, अंग्रेजी और बंगला की जानकारी रखने वाली सम्प्रति ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालय में पदस्थापित हैं और वहाँ के छात्र -छात्राओं को हिन्दी की महत्ता और रोजगारोन्मुखता से परिचित कराते हुए हिन्दी के सामर्थ्य से अवगत कराने का कार्य कर रहीं हैं।

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