ये ग़ज़ल है मेरी आपका घर नहीं,
इसमें करवट न कोई बदल पाएगाl
मैंने तेरे लिए इक ग़ज़ल लिख दिया,
इसको पढ़ के मेरा दिल सम्हल जाएगाll
ये ग़ज़ल…..
जब तुम्हारे लिए आईना देखता,
तुम हमारे ह्रदय में उतर जाती होl
हुस्न का रंग तुम्हारा निखर जाता है,
बातों-ही-बातों में तुम सम्हल जाती होl
मेरे दिल ने कहा है मुझी से सनम,
न तुम्हारे सिवा कोई आ पाएगाll
मैंने तेरे….
शाम को जब कहीं भी निकलता हूँ मैं,
तेरी यादों की दुनिया उलझ जाती हैl
जब हवाओं के झोंके तुम्हें छूते हैं,
तेरे बालों की जुल्फें सुलझ जाती हैंl
तुम मेरी जिन्दगी में उजाला करो,
मेरा दिल फिर सभी रौनकें लाएगाl
मैंने तेरे….ll
#पुनीत मिश्र
परिचय: पुनीत मिश्र लेखन में उपनाम-मधुर का उपयोग करते हैंl आपकी जन्मतिथि-११ दिसंबर १९९८ व जन्मस्थान-गोला गोकर्णनाथ हैl बी.एस-सी. करने के बाद आपका कार्यक्षेत्र-शिक्षा ही हैl आप उत्तर प्रदेश राज्य के शहर गोला गोकर्णनाथ(लखीमपुर खीरी) में ही रहते हैंl आप गीत,ग़ज़ल एवं मुक्तक रचने के अभ्यस्त हैंl कुछ पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं तो,अॉनलाइन कवि सम्मेलन में `काव्य भूषण` सम्मान मिला हैl आपके लेखन का उद्देश्य- शौक एवं हिन्दी भाषा को समाज में जागृत रखना हैl