
माँ की आंखों का तारा।
परिवार में राजदुलारा॥
भाई-बहन के मन को भाते।
साथी भी बिन इनके रह न पाते॥
रहते साथ सदा इनके हर बार।
ऐसे हैं हमारे गुरु पवन कुमार॥
छात्र जीवन से क्रांतिकारी।
धीर, वीर और सदाचारी॥
गुरुओं के जो प्रिय कहलाए। जुल्मों के खिलाफ आवाज उठाए॥
दीन-दुखियों के तारणहार।
ऐसे हैं हमारे गुरु पवन कुमार॥
फेरे लिए पूनम के साथ।
बढ़ चले लिए हाथों में हाथ॥
प्रखर वाणी दीप्ति भाल।
संकट में बन जाते ढाल॥
माँ से मिले उन्हें संस्कार।
ऐसे हैं हमारे गुरु पवन कुमार ॥
पवन और पूनम के द्वार।
आई दो परी,एक राजकुमार॥
शिवम, सौम्या और समीक्षा।
करते उत्तीर्ण हर परीक्षा॥
बच्चों से है खुशियों का संसार।
ऐसे हैं हमारे गुरु पवन कुमार॥
तिय के हिय सदा बसते।
हर घड़ी हर क्षण साथ चलते॥
जिनके बनते वो विश्वास।
फैले जग में बनकर प्रकाश॥
मलय पवन बहे जहां बारम्बार।
ऐसे हैं हमारे गुरु पवन कुमार॥
जीवन की वो राह दिखाते।
हर छोटी-बड़ी बात बताते॥
संयम और सादगी से रहते।
छात्रों को हर गुर सिखाते॥
डूबती नैया के खेवनहार।
ऐसे हैं हमारे गुरु पवन कुमार॥
दुखों से तनिक भी घबराते।
संघर्षों में हैं जीवन बिताते॥
साहसी वीर और योद्धा बनकर।
जीवन की हर जंग से लड़कर॥
ऐसे हैं हमारे गुरु पवन कुमार॥
सत् चित् आनंद के स्वामी।
विवेकानंद के पथ के गामी॥
नित्य हरे मन का संताप।
पल में कर ले जो पश्चाताप॥
मिले उसको खुशियां अपार।
ऐसे हैं हमारे गुरु पवन कुमार॥
ब्रह्मा,विष्णु और महेश।
तीनों-से हैं सर्वश्रेष्ठ॥
छात्र हित का रखते ध्यान।
करते उसका त्वरित निदान॥
महाज्ञान के है जो भण्डार।
ऐसे हैं हमारे गुरु पवन कुमार॥
#उमेश कुमार गुप्त
परिचय : उमेश कुमार गुप्त का १९८९ में जन्म हुआ है और निवास भाटपार रानी देवरिया(उत्तर प्रदेश) है। जिला देवरिया में रहने वाले उमेश गुप्त के प्रकाशित साहित्य में साझा काव्य संग्रह(जीवन्त हस्ताक्षर,काव्य अमृत, कवियों की मधुशाला) है तो प्रकाशाधीन साहित्य भी है। भारत के श्रेष्ठ युवा कवि-कवियित्रियाॅ में आपकी रचना है तो साझा कहानी संग्रह(मधुबन) भी आपने लिखा है।अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन जारी है। आपकी लेखनी की बदौलत कई शोध पत्र प्रकाशित हुए हैं। काव्य अमृत सम्मान 2016 आपको मिला है ।