जब-जब लौटता हूँ
अतीत में
यही पाता हूँ कि
पहले और अब में
बहुत बड़ा फर्क है
उतना ही कि जितना
निष्कलुष बचपन और
स्वार्थ भरी जवानी में
वात्सल्य और वासना में
आग और पानी में
ज़मीन और आसमान में
माघ-पूस और जेठ के तापमान में l
यानि कि,
उतनी ही विपरीतता
जितनी कि इंसान और हैवान में
पहले अभावों में भी था भाव
गैरों में भी अपनों-सा लगाव
घर में वस्तुओं के लिए कम
लोगों के लिए ज़्यादा जगह थी
अब वस्तुएं ही वस्तुएं हैं सारे घर में
घेरे बैठी हैं
कमरा-कमरा,आहाता,दालान
यानि कि,
घर का चप्पा-चप्पा l
कहाँ खेलें बच्चे
कहाँ बैठें-उठें
बूढ़े मां-बाप
पहले वस्तुएं हटाई जाती थीं
उनके उठने-बैठने की सुविधा के लिए
अब वे उठाए जाते हैं
वस्तुएं सही ढंग से समायोजित करने के लिए l
पहले थे लोग दयालु
अब ईर्ष्यालु
पहले अपने और पराएपन
मिलते थे
अलग-अलग लिबास में
दूर से ही पहचाने भी जा सकते थे
अब एक ही में रहते हैं
पहचाने ही नहीं जाते कि
किस आस्तीन में सांप है
और किसमें मित्र l
पहले मिलते ही
सामने वाले का स्वास्थ्य पूछते थे लोग
और,
घर-परिवार का हाल भी तफ़सील से
गोया
मेरे भी बच्चे,मां-बाप
उतने ही उनके भी हों जितने कि मेरे l
हाथ मिलाने वालों की
हथेलियों में भरी रहती थी इतनी ऊष्मा कि
उसके अपनेपन की गर्म धारा से
गमक उठता था दिल,
अब तो मिलने वाले हाथ
इतने ठंडे होते हैं कि,
छूटती है झुरझुरी अपने भी बदन से l
अब चुक गए हैं उनके शब्द
पूछ्ते भी हैं तो बस
पद और वेतन पूछते हैं
पहले मुझे चाहते थे लोग
अब मेरे पद,पैसे और पहुंच को चाहते हैं।
#डॉ. गंगा प्रसाद शर्मा ‘गुणशेखर’
परिचय: डॉ. गंगा प्रसाद शर्मा का साहित्यिक उपनाम ‘गुणशेखर’
है l आप कुआंगतोंग वैदेशिक अध्ययन विश्वविद्यालय
(कुआंगचौ,कुआंगतोंग प्रांत,चीन) में प्राध्यापक रहे हैं l श्री शर्मा की जन्मतिथि-१ नवम्बर १९६२ और जन्म स्थान समशेर नगर,बहादुरगंज है l आपका खुशहाल परिवार है,जो जिला-सीतापुर(राज्य-उतर प्रदेश) में बसा हुआ हैl शिक्षा-एम.ए.,एम.एड. ,नेट(यूजीसी फेलोशिप प्राप्त),पीएचडी है तो हिन्दी,संस्कृत, अंग्रेजी,उर्दू और फ़ारसी(आंशिक रूप से) भाषा का भी आपको ज्ञान है l प्रकाशित कृतियों में-‘सप्तपदी’ और ‘समय की शिला पर’ के सहयोगी दोहाकार(वर्ष१९९५-९६),मेरी सोई हुई संवेदना (कविता संग्रह),हर जवाँ योजना परधान के हरम में(गज़ल संग्रह),डरा हुआ आकाश(दोहा संग्रह),अफसर का कुत्ता,पुलिसिया व्यायाम(दोनों व्यंग्य संग्रह)और आधुनिक भारत के बहुरंगी दृश्य(२००५)सहित दलित साहित्य का स्वरूप विकास और प्रवृत्तियाँ (२०१२),तथा हिन्दी साहित्य का सरल और संक्षिप्त इतिहास (गुआंगदोंग अंतर्राष्ट्रीय वैदेशिक अध्ययन विश्वविद्यालय,ग्वाम्ज्हाऊ,चीन के स्नातक तृतीय वर्ष के पाठ्यक्रम में सम्मिलित) ख़ास है l सम्मान व पुरस्कार के रूप में आपको साहित्य शिरोमणि सम्मान(१९९९,उप्र),तुलसी सम्मान (२००५,उप्र)और विश्व हिन्दी सेवी सम्मान(उ.प्र.) मिल चुका है l वर्तमान में आप सूरत के पंचवटी में हैं जबकि,स्थाई निवास सीतापुर(उप्र) है l