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हरे भरे से खेत को बंजर बना दिया
फूल से जीवन को खंजर बना दिया
छिनके मेरी जीने की वजह लोगो ने
ईश्क की तबाही का मंजर बना दिया
वक्त बनके मदारी खेलता रहा खेल
मेरी बेबसी ने मुझे बंदर बना दिया
चाह थी दर्या बन सबके काम आऊ
पर हालात ने मुझे समंदर बना दिया
#संजय अश्क बालाघाटी
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