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बेटी नहीं किसी से कम है,
बेटी जग की माया है।
बेटा यदि है धूप घरों की,
बेटी घर की छाया है॥
बेटा यदि कुल का दीपक है,
बेटी उसकी बाती है।
बिन बेटी के नहीं घरों में,
कभी रोशनी आती है॥
बेटा-बेटी भेद न पालो,
यही भाव मन भाया है।
बेटा यदि है धूप घरों की,
बेटी घर की छाया है॥
बेटी शादी होने पर भी,
अपना धर्म निभाती है।
बेटा यदि मुँह मोड़े घर से,
बेटी आस जगाती है॥
बूढ़े माँ-बाप की लाठी,
बनकर के दिखलाया है।
बेटा यदि है धूप घरों की,
बेटी घर की छाया है॥
सुख-दुख जैसे बेटा-बेटी,
दोनों घर की आशा है।
हिन्दी-अंग्रेजी जैसे दो,
आज हमारी भाषा है॥
बेटा-बेटी बहना-भाई,
संस्कारों से पाया है।
बेटा यदि है धूप घरों की,
बेटी घर की छाया है॥
ऊँचे पद पर बैठ बेटियाँ,
सारा देश चलाती हैं।
राजनीति में आगे बढ़ के,
सोये भाग्य जगाती हैं॥
बेटी स्वाभिमान भारत का,
भाव यही मन आया है।
बेटा यदि है धूप घरों की,
बेटी घर की छाया है॥
सीमा की रक्षा करना भी,
अब बेटी को आता है।
तोप और बन्दूक चलाना,
अब बेटी को भाता है॥
जल,नभ सैनिक,पायलेट भी,
बनना उसको आया है।
बेटा यदि है धूप घरों की,
बेटी घर की छाया है॥
जितना आज कमाते लड़के,
उससे अधिक कमाती हैं।
बेटा नहीं अकेला घर में,
बेटी साथ निभाती हैं॥
बेटी भावी जग की जननी,
मातृ रुप भी पाया है।
बेटा यदि है धूप घरों की,
बेटी घर की छाया है।
जल,नभ,भू का कोई कोना,
आज न इनसे खाली है।
फिर भी रुढ़िवाद पीढ़ी ने,
निन्दित सोचें पाली हैं॥
बेटी अखिल विश्व की आशा,
यही जगत ने पाया है।
बेटा यदि है धूप घरों की,
बेटी घर की छाया है॥
#राजेन्द्र शर्मा ‘राही’
परिचय: राजेन्द्र शर्मा ‘राही’ का निवास वर्तमान में इंदौर के खजराना क्षेत्र में है। जन्मतिथि-बारह अप्रैल उन्नीस सौ चौंसठ तथ जन्मस्थान-ग्वालियर(मध्यप्रदेश) है। इंदौर निवासी श्री शर्मा की शिक्षा-बी.ई.(सिविल) और कार्यक्षेत्र-आगरमालवा है। सामाजिक क्षेत्र-ग्वालियर के साथ इन्दौर भी है। आप छंद एवं गज़ल सहित लेख भी लिखते हैं। प्रकाशन में चेतना के स्वर,जीवन के सरोकार प्रेस में आपके नाम है। आपको मैथिलीशरण गुप्त सम्मान,शिव सम्मान,साहित्य सौरभ सम्मान,राष्ट्रभाषा आचार्य सम्मान,म.प्र. संपादक रत्न सम्मान और कला आराधक सम्मान सहित अनेक सम्मान मिले हैं। लेखन का उद्देश्य-सामयिक विषय पर चिंतन कर देश-समाज को जगाने की प्रेरणा देने का प्रयास है।
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Nice very nice, Thanks.