सबक

0 0
Read Time3 Minute, 52 Second
chandra sayata
एक दस-बारह वर्षीय बच्चे ने राह गुजरते एक अप-टू-डेट व्यक्ति से अनुरोध किया-
‘बाबूजी बूट पॉलिश करवा लो।’
कुछ सोचकर वह व्यक्ति रुक गया और बच्चे से सहज प्रश्न किया-
‘कितने पैसे लोगे?’
‘साहब बीस रुपए।’
राहगीर यह सुनकर भौंचक्का रह गया। उत्सुकतावश उसने पुन: सवाल किया-
‘अरे बेटा,सभी दस लेते हैं,तुम उसी काम के बीस मांग रहे हो, क्यों?’
‘बहुत गरीब हूं साहब। कमाने वाला मैं अकेला हूं और खाने वाले तीन-तीन भाई बहन।’
वह व्यक्ति बीच में ही बोल पड़ा-‘और मां-बाप ?’
बच्चे ने दाएं-बाएं सिर हिलाकर ‘नहीं हैं’ की अभिव्यक्ति कर दी।
वह आगे बोला-‘मैं अगर सीधे- सीधे भीख मांगूंगा, उससे मेरा और भाई बहनों का गुजर मुश्किल होगा, इसलिए साहब मैं दस रुपए बूट पॉलिश करने के और दस रुपए भीख के मांगता हूं।’
वह आदमी बच्चे के हाथ में दस का नोट देकर आगे बढ़ गया।
‘अरे साहब, बूट पॉलिश तो करवा लीजिए,भले ही मुझे भीख मत दीजिए।
आदमी पलटकर बच्चे के पास पहुँचा।
‘बेटा, मैं अपने जूतों की पालिश खुद करता हूं,इसलिए ये दस रुपए मैंने तुझे भीख में दिए हैं।’
बच्चे का ज़मीर जाग उठा। वह दस का नोट लौटाते हुए स्वाभिमान के साथ बोला-
‘साहब मैंने आज से भीख मांगना बंद कर दिया है।’
#डॉ.चंद्रा सायता
परिचय: मध्यप्रदेश के जिला इंदौर से ही डॉ.चंद्रा सायता का रिश्ता है। करीब ७० वर्षीय डॉ.सायता का जन्मस्थान-सख्खर(वर्तमान पाकिस्तान) है। तत्कालिक राज्य सिंध की चंद्रा जी की शिक्षा एम.ए.(समाजशास्त्र,हिन्दी साहित्य,अंग्रेजी साहित्य) और  पी-एचडी. सहित एलएलबी भी है। आप केन्द्र सरकार में अधिकारी रहकर 
जुलाई २००७ में सेवानिवृत्त हुई हैं। वर्तमान में अपना व्यक्तिगत कार्य है। लेखन से आपका गहरा जुड़ाव है और कविता,लघुकथा,व्यंग्य, आलेख आदि लिखती हैं। हिन्दी में ३ काव्य संग्रह, सिंधी में ३,हिन्दी में २ लघुकथा संग्रह का प्रकाशन एवं १ का सिंधी अनुवाद भी आपके नाम है। ऐसे ही संकलन ७ हैं। सम्मान के तौर पर भारतीय अनुवाद परिषद से, पी-एचडी. शोध पर तथा कई साहित्यिक संस्थाओं से भी पुरस्कृत हुई हैं। २०१७ में मुरादाबाद (उ.प्र.) से स्मृति सम्मान भी प्राप्त किया है। अन्य उपलब्धि में नृत्य कत्थक (स्नातक), संगीत(३ वर्ष की परीक्षा उत्तीर्ण),सेवा में रहते हुए अपने कार्य के अतिरिक्त प्रचार-प्रसार कार्य तथा महिला शोषण प्रतिरोधक समिति की प्रमुख भी वर्षों तक रही हैं। अब तक करीब ३ हजार सभा का संचालन करने के लिए प्रशस्ति -पत्र तथा सम्मान पा चुकी हैं। लेखन कार्य का उद्देश्य मूलतः खुद को लेखन का बुखार होना है।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

अंधा कानून...

Wed Aug 23 , 2017
इंसानियत पर हैवानियत भारी, आँखें मूंदकर देख रही दुनिया सारी, ये लड़ाई,झगड़े,हत्या,दंगा, सब कुछ बड़ा ही गंदा होता है। सारी दुनियाँ जानती है, ये कानून बड़ा ही अंधा होता है॥ झूठे किस्से,झूठी कसम, झूठे फैसलों वाला विधि बेशरम, बच जाते हैं वो कातिल, जिनका हाथ खून से रंगा होता है। […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।