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प्यार को वो केवल एक शब्द ही मानते हैं,
प्यार क्या है केवल वो दिवाने ही जानते हैं।
प्यार का सेतु राम ने सीता हेतु बनाया है,
शिला पर राम लिख़ सागर में तैराया है।
प्यार राधा और कृष्ण की अनुपम जोड़ी है,
मीरा के श्याम प्रेम की एक अटूट डोरी है।
चाहे उद्धव भी दे दें अपने ज्ञान का बखान,
सच कहें तो दुनिया प्रेम के बिना अधूरी है।
प्यार ईश्वर का एक अनुपम उपहार है,
इसका हर पल एक अलौकिक श्रृंगार है।
प्यार जिसने सच्चा इस जग में पाया है,
वो बिरला एक सच्चा प्रेमी कहलाया है॥
#भद्रेश झा ‘भद्र’
परिचय: भद्रेश झा ‘भद्र’ राजस्थान के शहर बाँसवाड़ा से सम्बन्ध रखते हैं।आपकी जन्मतिथि-५ फरवरी १९७८ तथा जन्म स्थान-बाँसवाड़ा ही है।शिक्षा-बी.ए. सहित आशुलिपिक (अंग्रेजी) और कार्यक्षेत्र शिक्षा विभाग(वरिष्ठ लिपिक) है। सामाजिक रुप से आप सं.रा.क.महासंघ(बाँसवाड़ा) के अध्यक्ष हैं। विधा-ग़ज़ल,कविता है,और प्रकाशन की तैयारी जारी है। काव्य भूषण सम्मान मिल चुका है।दैनिक समाचार पत्रों में प्रकाशन व रेडियो पर काव्य पाठ जारी है। लेखन का उद्देश्य साहित्य में रुचि है।
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