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शत-शत नमन…,
भारत में हो अमन…।
सागर तेरे चरण पखारे
रक्षक बन पर्वत संहारे,
नित-नित हम शीश झुकाते…॥
वृक्ष जहां अम्बर कहलाते
हरियाली बन धरा सजाएं,
क्यूँ न हम शीश झुकाएं…॥
पावन माटी सोना उपजाती
खलिहानों से भूख मिटाती,
शस्य-श्यामला ये कहलाती…॥
त्याग-तपस्या प्रेम-अहिंसा
सदाचार का पाठ सिखाती,
शांत चित्त से युद्ध भगाती
अनेकता में एकता दर्शाती…॥
चहुंओर बहें स्नेह जलधारा
मन गंगा तन चंदन माला,
न राग, न द्वेष…
भेद करो चाहे मतों का…
बस नहीं हो बंटवारा मन का…॥
हौंसला सभी जन-जन का नारा,
शत-शत नमन करे जग सारा…॥
#उमा मेहता त्रिवेदी
परिचय : इंदौर में रहने वाली श्रीमति उमा मेहता त्रिवेदी ने एमएससी और बीएड किया हुआ है। कई पत्र-पत्रिकाओं में आपके लेख,ग़ज़ल और रचनाएँ प्रकाशित होती हैं। आपको भारत के प्रतिभाशाली &गौरवशाली साहित्यकार पुरस्कार ‘अमृत सम्मान’ से और कृति प्रकाशन से भी सम्मानित किया गया है। अब तक चार साझा संग्रह प्रकाशित हो गए हैं। आपको ८० प्रतिशत रचनाएँ,लेख एंव ग़ज़ल के साथ ही गाने और व्यंग्य भी लिखने का शौक रखती हैं। लिखना और पढ़ना इनकी उपासना ही नहीं, वरन पसंद भी है। कई वेबसाईट पर भी इनकी रचनाएँ प्रकाशित होती रहती हैं।
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Mon Aug 14 , 2017
कौम-वाद,जाति-वाद, सम्प्रदाय-वाद,आरक्षण। जनता का यूँ, कर भक्षण, और कितनी,रोटी सेकोगे? सुन-सुन कान,पके हैं सबके, बोलो कब तक,यूँ फेंकोगे॥ ये असुरक्षित,वो गद्दार, कोई न वतन का,पहरेदार। आग लगाकर,अमन-चमन में, हाथ भला,कब तक सेकोगे? सुन-सुन कान,पके हैं सबके, बोलो कब तक,यूँ फेंकोगे॥ भले देश,नष्ट हो जाए, बस गद्दी इन्हें,मिल जाए। लोगों की […]