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आओ जन्म भूमि की वंदना करें,
राष्ट्र वंदना करें।
शस्य श्यामला धरा
प्रबुद्ध शुद्ध हो,
रोटी,कपड़ा और मकान
सर्व सिद्ध हो,
हर नवजात एक
कृष्ण बुद्ध हो,
कृष्ण बुद्ध हो।
एक विशिष्ट राष्ट्र की
कामना करें,
आओ वंदना करें।
वरदहस्त हमपे
भारती का रहे,
हर जगह प्रकाश
आरती का रहे,
ज्ञानदीप की शिखा के
प्रार्थी रहें,
प्रार्थी रहें।
निर्मल पुनीत भाव से
अर्चना करें,
आओ वंदना करें।
प्रदूषणों से दूर
इसका विकास हो,
दिशा-दिशा में फैलता
इसका सुवास हो,
हरेक प्राणी देश का
सबल प्रभास हो,
सबल प्रभास हो।
विशुद्ध परिवेश की
कामना करें,
आओ कामना करें।
नदी तलाब इसके
जल से भरे रहें,
बाग़ और बगीचे
फलों से लदे रहें,
खेत खलिहान
अन्न से भरे रहें,
अन्न से भरे रहें।
एक समृद्ध राष्ट्र की
कामना करें,
आओ कामना करें।
सरस्वती के क्षेत्र में
विश्व जय करे,
शांति ध्वज संस्कृति
जय-विजय रहे,
ज्ञान विज्ञान में
अजय अमर रहे,
अजय अमर रहे।
एक बलिष्ठ राष्ट्र की
चाहना करें,
आओ चाहना करें।
वन्दे मातरम
हरेक की जुबान हो ,
यहाँ न कोई हिन्दू
कोई मुसलमान हो,
तिरंगे की लहर में बसे
सबके प्राण हों,
सबके प्राण हों।
एक विशिष्ट राष्ट्र की
कामना करें,
आओ कामना करें॥
#सुशीला जोशी
परिचय: नगरीय पब्लिक स्कूल में प्रशासनिक नौकरी करने वाली सुशीला जोशी का जन्म १९४१ में हुआ है। हिन्दी-अंग्रेजी में एमए के साथ ही आपने बीएड भी किया है। आप संगीत प्रभाकर (गायन, तबला, सहित सितार व कथक( प्रयाग संगीत समिति-इलाहाबाद) में भी निपुण हैं। लेखन में आप सभी विधाओं में बचपन से आज तक सक्रिय हैं। पांच पुस्तकों का प्रकाशन सहित अप्रकाशित साहित्य में १५ पांडुलिपियां तैयार हैं। अन्य पुरस्कारों के साथ आपको उत्तर प्रदेश हिन्दी साहित्य संस्थान द्वारा ‘अज्ञेय’ पुरस्कार दिया गया है। आकाशवाणी (दिल्ली)से ध्वन्यात्मक नाटकों में ध्वनि प्रसारण और १९६९ तथा २०१० में नाटक में अभिनय,सितार व कथक की मंच प्रस्तुति दी है। अंग्रेजी स्कूलों में शिक्षण और प्राचार्या भी रही हैं। आप मुज़फ्फरनगर में निवासी हैं|
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Wed Aug 2 , 2017
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