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सोचती हूं
हर दम
क्या हूं मैं ?
कुछ बातों की
लक्ष्मण रेखा ?
जीवन को सुखी बनाने वाली
कोई सुविधा ?
बावर्ची ?
घर की चिन्तक ?
हर चीज के हिसाब वाली
एक डायरी ?
बच्चों की आया ?
पति की नौकरानी ?
प्रेमिका ?
या फिर
निरी रखैल ?
जो चिंतित हो उठता है
मेरे गर्भवती होने पर
और
जारी कर देता है
एक फतवा
गर्भपात कराने का,
बिना मेरी पीड़ा जाने
लेकर
निरा एक तरफा
निर्णय॥
#सुशीला जोशी
परिचय: नगरीय पब्लिक स्कूल में प्रशासनिक नौकरी करने वाली सुशीला जोशी का जन्म १९४१ में हुआ है। हिन्दी-अंग्रेजी में एमए के साथ ही आपने बीएड भी किया है। आप संगीत प्रभाकर (गायन, तबला, सहित सितार व कथक( प्रयाग संगीत समिति-इलाहाबाद) में भी निपुण हैं। लेखन में आप सभी विधाओं में बचपन से आज तक सक्रिय हैं। पांच पुस्तकों का प्रकाशन सहित अप्रकाशित साहित्य में १५ पांडुलिपियां तैयार हैं। अन्य पुरस्कारों के साथ आपको उत्तर प्रदेश हिन्दी साहित्य संस्थान द्वारा ‘अज्ञेय’ पुरस्कार दिया गया है। आकाशवाणी (दिल्ली)से ध्वन्यात्मक नाटकों में ध्वनि प्रसारण और १९६९ तथा २०१० में नाटक में अभिनय,सितार व कथक की मंच प्रस्तुति दी है। अंग्रेजी स्कूलों में शिक्षण और प्राचार्या भी रही हैं। आप मुज़फ्फरनगर में निवासी हैं|
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Fri Jul 21 , 2017
फटे-पुराने कपड़े पहने हुए, चेहरे पे झुर्रियां छाए हुए.. मुँह लटकाए हुए, हाथ में कटोरा पकड़े.. कांख में पोटली दबाए हुए, माथे पर बदकिस्मती की तकदीर धारियों में लिखाए हुए, उल्टी-पुलटी चप्पल पहने.. बेतहाशा सड़कों पे, तो कभी गली कूचों में.. इधर-उधर चलते-फिरते, दिखने में साधु लगता.. पर है भिखारी, […]
मेरी कविता – क्या हूं मैं – प्रकाशित करने के लिए सादर आभार अजय जैन जी ।।
सुशीला जोशी
मुजफ्फरनगर