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क्या उसने कहाँ मेरे से,
और मैने उसे क्या कहाँ।
क्यों सुनने को बेताव है,
मेरे मुंह से क्यों वो।।
ये शहर कोई नया नही,
मेरे आने जाने के लिए।
मिलता रहा जहां प्यार,
वहां हम आते जाते रहे।।
अब तुम ही बता दो मुझे,
की क्या कुछ हम कहे।
मिल जाये मुझे वो अब,
जिस को हम तलाश रहे।।
क्या मिल सकेगा कुछ ऐसा,
जिसको हम आप ढूंढ रहे।
यदि मिल गए हमें वो,
तो दिल मे फूल खिलेंगे।।
एक बार फिर हम दोनों,
आपस में प्यार से मिलेंगे ।
और हिंदुस्तान की प्यार वाली,
परिभाषा को फिर से दौरहेंगे।।
और एक ताज महल बनाएंगे।
और अपना प्यार इतिहास में,
निश्चित ही अमर कर जायेंगे।
हिन्दुस्तानी धरोहर को, हिन्दुसत में लूटेंगे ।।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
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Wed Apr 24 , 2019
समय बहुत बलवान है इसे समझ लो खूब जो समय को न समझे करता है भारी भूल एक बार समय गया फिर हाथ न आएगा समय गंवाने के बाद जिंदगी भर पछतायेगा जो समय पर हावी होकर करते हमेशा सद्कर्म समय उन्ही का अच्छा होता निभाते अपना स्वधर्म। #श्रीगोपाल नारसन […]