तरोताज़ा सुघड़ साजा

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gopal madhu
तरोताज़ा सुघड़ साजा,सफ़र नित ज़िन्दगी होगा;
जगत ना कभी गत होगा,बदलता रूप बस होगा।
जीव नव जन्म नित लेंगे,सीखते चल रहे होंगे;
समझ कुछ जग चले होंगे,समझ कुछ जग गए होंगे।
चन्द्र तारे ज्योति धारे,धरा से लख रहे होंगे;
अचेतन चेतना भर के,निहारे सृष्टि गण होंगे।
रचयिता जान कुछ लेंगे,बिना कुछ जाने चल देंगे;
प्रकृति की गति चले होंगे,कोई प्रकृति तरे होंगे।
तटस्थित कोई होंगे,दृष्टि में जग लिए होंगे;
लिए उनकी लहर कोई,’मधु’ मन गा रहा होगा।

                                                                                            #गोपाल बघेल ‘मधु’

परिचय : ५००० से अधिक मौलिक रचनाएँ रच चुके गोपाल बघेल ‘मधु’ सिर्फ हिन्दी ही नहीं,ब्रज,बंगला,उर्दू और अंग्रेजी भाषा में भी लिखते हैं। आप अखिल विश्व हिन्दी समिति के अध्यक्ष होने के साथ ही हिन्दी साहित्य सभा से भी जुड़े हुए हैं। आप टोरोंटो (ओंटारियो,कनाडा)में बसे हुए हैं। जुलाई १९४७ में मथुरा(उ.प्र.)में जन्म लेने वाले श्री बघेल एनआईटी (दुर्गापुर,प.बंगाल) से १९७० में यान्त्रिक अभियान्त्रिकी व एआईएमए के साथ ही दिल्ली से १९७८ में प्रबन्ध शास्त्र आदि कर चुके हैं। भारतीय काग़ज़ उद्योग में २७ वर्ष तक अभियंत्रण,प्रबंधन,महाप्रबंधन व व्यापार करने के बाद टोरोंटो में १९९७ से रहते हुए आयात-निर्यात में सक्रिय हैं। लेखनी अधिकतर आध्यात्मिक प्रबन्ध आदि पर चलती है। प्रमुख रचनाओं में-आनन्द अनुभूति, मधुगीति,आनन्द गंगा व आनन्द सुधा आदि विशहै। नारायणी साहित्य अकादमी(नई दिल्ली)और चेतना साहित्य सभा (लखनऊ)के अतिरिक्त अनेक संस्थाओं से सम्मानित हो चुके हैं।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।