कितनी कलियों को जगाया मैंने, कितनी आत्माएँ परश कीं चुपके; प्रकाश कितने प्राण छितराए, वायु ने कितने प्राण मिलवाए। कितने नैपथ्य निहारे मैंने, गुनगुनाए हिये लखे कितने; निखारी बादलों छटा कितनी, घुमाए फिराए यान कितने। रहा जीवन प्रत्येक परतों पर, छिपा चिपका समाया अवनी उर; नियंत्रित नियंता के हाथों में, […]

आना-जाना,कभी चले जाना, कभी रुक-रुक के देखते जाना; झाँकना और कभी चल देना, करते हो क्या कमाल तुम कान्हा। कान में कह के कभी चल देना, ‘तुम्हीं हो ब्रह्म समझ यह लेना’; लेना-देना कभी न कुछ करना, बिना माँगे ही कभी दे देना। उर में जो चाहा वह समझ लेना, […]

काट औ छाँट जो रही जग में, दाग बेदाग़ जो रहे मग में; बढ़ा सौन्दर्य वे रहे प्रकृति, रचे ब्रह्माण्ड गति औ व्याप्ति। कष्ट पत्ती सही तो रंग बदली, लालिमा ले के लगी वह गहमी; गही महिमा ललाट लौ लहकी, किसी ने माधुरी वहाँ देखी। सेब जो जंगलों में सेवा […]

कुचल दो कुयाशा की शाखाएँ, कुहक ले चल पड़ो कृष्ण चाहे; कृपा पा जाओगे राह आए, कुटिल भागेंगे भक्ति रस पाए। भयंकर रूप जो रहे छाए, भाग वे जाएँगे वक़्त आए; छटेंगे बादलों की भाँति गगन, आँधियाँ ज्यों ही विश्व प्रभु लाएँ। देख लो क्या रहा था उनके मन, जान […]

खो गए विश्व गो-शाला, गो-मना हो के गोपाला; खोजते रहते ब्रज ग्वाला, कहाँ मिल पा रहे लाला। तके गोष्पद बिपद विहरन, रमण कर राधिका अनहद; चली मूँदे नयन चित-वन, कहाँ चितवन लखत त्रिभुवन। कभी मुरली सुने मधुवन, किए क़द छोटा वेलन तृण; खोज करती कभी मृदु सुर; साधना शोध में […]

गुदगुदा प्यार में कभी जाता, गुनगुना कान में कभी जाता; आके चुपके से कभी कुछ कहता, साँवरा हरकतें अजब करता। ग़ज़ब की बांसुरी सुना जाता, कभी वह नज़र भी कहाँ आता; अदद अंदाज से कभी मिलता, कभी बंदा नवाज़ बन जाता। नब्ज़ हर वक़्त देखता रहता, धड़कनें हृदय की सदा […]

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।