छुपाना भी ज़रूरी है

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abdul
हसीं ज़ज़्बात का दिल में ठिकाना भी ज़रूरी है,
छुपाना भी ज़रूरी है जताना भी ज़रूरी है।
बिखरता है नहीं यूँ ही !उजाला इश्क़ का यारों,
मुहब्बत में ये दिल अपना जलाना भी ज़रूरी है।
उन्हीं बातों को दुहराने से होगा कुछ नहीं हासिल,
गई जो रात तो फिर बात जाना भी ज़रूरी है।
उठाने के लिए सर फक्र से ए दोस्त सुन अपना,
रकीबों का यहाँ पर सर झुकाना भी ज़रूरी है।
पलटकर आएगा तू एक दिन ये है यकीं मुझको,
मगर ये लमहे फुरकत के बिताना भी जरूरी है॥
                                                                                        #अब्दुल रऊफ ‘मुसाफ़िर’
परिचय : अब्दुल रऊफ ‘मुसाफ़िर’ को लिखने का शौक है। आप मध्यप्रदेश के सेंधवा(जिला बड़वानी) में रहते हैं। 

matruadmin

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