पत्रकारिता

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मैं पढ़ा-लिखा बेरोजगार हूॅं,
व्यवस्था के खिलाफ गुस्सा भरा है मेरे मन में,
गुस्से में मैंने उठा ली है कलम
और कलम मेरी कुल्हाड़ी सी चलने लगी है ।

लोग कहते हैं –
मैं बड़ा समझदार हो गया हूॅं
लेकिन सच तो यह है कि मैं पत्रकार हो गया हूॅं
मैं गणेश शंकर विद्यार्थी जी का चेला हो गया हूॅं ।

हाॅं – हाॅं नफरत भरी है मेरे अंदर सत्ता के खिलाफ
मैं जानता हूं कैसे भला होगा मेरे देश का
मैं अब इतना दिमागदार हो गया हूं ।

मुझे चाह नहीं विज्ञापनों की
कलम से है मेरी वफादारी
इसीलिए जी रहा हूं अभावों में,
मैं पढ़ा- लिखा बेरोजगार हूॅं…।

कहते हैं लोकतंत्र का चौथा स्तंभ पत्रकारिता है
परंतु अब यह भी सिक्कों की खनक में डगमगाने लगी है
संसद से सवाल करने के बजाय
संसद की चरण वंदना करने लगी है,
पत्रकारिता अब मरने लगी है ।

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
फतेहाबाद, आगरा

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मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।