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अमरनाथ में शिव भक्तों पर कहर तोड़ने वालों।
धर्म आस्था में हिंसा का जहर घोलने वालों।
कायर हो तुम श्वान वंश के लानत तेरी हरकत पर।
कायरता भी शर्मसार है तेरी गंदी फितरत पर।
शिवभक्तों का लहू पुकारे अब तो जागो मोदी जी।
निंदा नहीं मिसाइल अपनी अब तो दागो मोदी जी।
कब तक कहूँ बाजुओं से मैं निंदा से संतोष करो।
संयम टूट चुका भारत का अब तो रण उदघोष करो।
कर्मयोग की गीता फिर से आकर कृष्ण सुनाओ तुम।
एक बार फिर आत्मशक्ति प्रभु अर्जुन में भर जाओ तुम।
सेना को अब आज्ञा देकर अपना फर्ज निभाओ तुम।
नापाकों के कुत्तेपन का अब जवाब दे जाओ तुम।
भारत के हर एक बागी को खुलकर सबक सिखाने दो।
फिर दुश्मन के सकल वंश का नामोनिशाँ मिटाने दो।
#अनुपम कुमार सिंह ‘अनुपम आलोक’
परिचय : साहित्य सृजन व पत्रकारिता में बेहद रुचि रखने वाले अनुपम कुमार सिंह यानि ‘अनुपम आलोक’ इस धरती पर १९६१ में आए हैं। जनपद उन्नाव (उ.प्र.)के मो0 चौधराना निवासी श्री सिंह ने रेफ्रीजेशन टेक्नालाजी में डिप्लोमा की शिक्षा ली है।
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