स्वयं को बदलना होगा  

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anupam tivari
बहुत दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है हमारे देश के सभी प्रांतों में पुलिस की। हमारे यहां पुलिस वालों को नेताओं ने अपने स्वार्थ साधने का साधन बना लिया है। मामला चाहे कोई भी हो,प्रशासन वही करता है जिसमें नेताजी का हित निहित हित हो। अन्यथा की स्थिति में पुलिस वाले को इन भ्रष्ट माननीयों के कोपभाजन का शिकार बनना पड़ता है,और नेताजी के नाराज हो जाने पर क्या हो सकता है, हम सब जानते हैं।  उनकी पदोन्नति रुक सकती है,तबादला हो सकता है और तो और उन्हें भ्रष्ट बताकर उनकी वर्दी भी उतरवाई जा सकती है। फलस्वरूप पुलिस वाले नेताजी की चाटुकारिता करते-करते खुद भी भ्रष्ट हो जाते हैं।उनके चरित्र में भ्रष्टाचार को अनिवार्य रूप से शामिल करने में हमारी भी उतनी ही भागीदारी होती है, जितनी माननीयों की।
     जैसे ही कोई मामला थाने में जाता है,तो हम यह जानते हुए भी कि हम निर्दोष हैं,हम किसी नेता या किसी अन्य चर्चित व्यक्ति के पास जाते हैं। उनसे निवेदन करते हैं कि,वह हमारे निर्दोष होने का प्रमाण-पत्र जारी करें। ऐसा होने पर हम उनके लिए कुछ भी करने का भरोसा देते हैं। जब हमारी गलती होती है तब हम नेताओं और पुलिस वालों को पैसों का प्रलोभन देते हैं। भ्रष्ट तो चाहें जो कोई भी हो,लेकिन भ्रष्टाचार के कार्न आप और हम भी हैं। थोड़ी-सी परेशानी से बचने के लिए हम लोग भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं और वही भ्रष्टाचार जब व्यापक हो जाता है तो हम लोग उसके खिलाफ आवाज उठाना शुरु करते हैं।अगर हम चाहते हैं कि,पुलिस का रवैया बदले तो सबसे पहले हमें अपने-आप को बदलना होगा।
                                                                                              #अनुपम तिवारी ‘मन्टू’ 
परिचय:सामाजिक कार्यकर्ता वाली पहचान  अनुपम तिवारी ‘मन्टू’ ने बनाई हैl इनकी शिक्षा बी.कॉम. हैl उत्तरप्रदेश के देवरिया जिला के भठवां तिवारी गांव के निवासी हैंl यह शौकिया लेखन करते हुए जब भी समय मिलता है तो कुछ प्रेरक और निष्पक्ष लिखने की कोशिश करते हैं ताकि,युवा साथियों को सही-गलत का निर्णय करने में सहयोग मिल सकेl 

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।