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मेरे बदन से,
तू लिपट तो गया है
इश्क का फरेबी जाल गूंथकर
अज़ीज दिलबर की तरह,
मगर मुझे पता है
कि,कुछ वक़्त गुज़रने पर
तू वैसे ही मुझको खुद से अलग कर देगा..
जैसे-
सफ़र से वापसी के बाद
कोई अपना लिबास उतारकर,
फेंक देता है बिस्तर पर..
या फिर टांग देता है खूँटी पर।
#अमन चाँदपुरी
परिचय : अमन चाँदपुरी का मूल नाम अमन सिंह है।१९९७ में जन्मे अमन की शिक्षा स्नातक है।इनकी लेखन विधाएँ दोहा,ग़ज़ल,हाइकु, क्षणिका,मुक्तक, कुंडलियां,समीक्षा, लघुकथा एवं मुक्त छंद कविताएँ आदि हैं।
प्रकाशित पुस्तकें-‘कारवां -ए-ग़ज़ल”, ‘दोहा कलश’ एवं ‘स्वरधारा‘(सभी साझा संकलन) प्रमुख है तो सम्पादन भी किया है।
विभिन्न राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं तथा वेबजाल पर सैकड़ों रचनाएँ प्रकाशित हैं। आपको ‘काव्य रत्न सम्मान‘, ‘कबीर कुल कलाधर’ सम्मान, ‘दोहा शिरोमणि’ की उपाधि, ‘कुंडलियां शिरोमणि’ की मानद उपाधि देने के साथ ही लखनऊ में ‘संत तुलसी सम्मान’ से सम्मानित किया जा चुका है।छायाकारी में खासी रुचि रखने वाले अमन की खींची हुई तस्वीरें विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं तथा वेब पर प्रकाशित होती रहती हैं। इनका निवास चाँदपुर जिला-अम्बेडकर नगर (उ.प्र.) में है।
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Sat Jun 24 , 2017
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