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भाई आप,
छत्तीसगढ़िया लगते हैं!
जबाब मिला,
हाँ,हम छत्तीसगढ़िया हैं।
लम्बे समय से,
यहीं राजस्थान में हैं।
छत्तीसगढ़ से,
जयपुर में कमाने खाने हैं॥
हमने कहा भाई,
वहां तो बहुत बड़े काम हैं।
और वहां पर,
बहुत बड़ी फैक्ट्रियां है।
तो भी यहां,
आखिर क्या कारण है।
उसने कहा,
शोषण बड़ा कारण है॥
आठ घण्टे का,
ठेकेदार डेढ़ दो सौ देते।
बिल्डर मिस्त्री को,
ढाई तीन सौ तक देते॥
उसमे भी खतरा,
कई बार डकार न लेते।
छत्तीसगढ़ी,
पसीने की कमाई खो देते॥
राजस्थान में,
बिल्डर के यहां काम करते।
आठ घण्टे का,
सीधा छह सौ अंदर करते॥
महीने भर में,
अठारह हजार कमाते हैं।
ईमानदारी से,
बिल्डर पूरा पेमेंट दे जाते है॥
श्रमिक बोला-
इसीलिए यहां डेरा जमाए।
हमारी मेहनत,
अपने लोग न आंक पाए।
सत्य सुनकर,
कलम शर्मिन्दा हो गई।
हे माँ सरस्वती,
जाने कलम कहाँ खो गई॥
#सुरेन्द्र जैन
परिचय: शौक से लिखने वाले सुरेन्द्र जैन(बाड़ी वाले)छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में तहसील धरसींवा में रहते हैं। आप पत्रकारिता से जुड़े हैं और अच्छे काम के लिए सम्मान भी पाया है। यहां के पत्रकार संघ से जुड़े श्री जैन सामाजिक अव्यवस्थाओं और कई तात्कालिक विषय पर लेखन करते हैं।
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Wed Jun 28 , 2017
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