सबला

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avinash tiwari

युगों युगों से सहते आये नारी की व्यथा करुणा है,
अबला नही अब सबला है ये दुर्गा लक्ष्मी वरुणा है।
द्रौपदी आज बीच सभा चीत्कार रही,
कितनी सारी निर्भया खून
के आसूं बहा रही।
चीर हरण अब रोज होता कृष्ण नही अब आते हैं,
छोटे छीटे मासूम भी हवस की भेंट चढ़ जाते हैं।
अर्जुन बना बृहनलला देखो,भीष्म शैया पर सोते हैं,
विदुर चले अब शकुनि चाल द्रोण
गुरुत्व को खोते हैं।
सीता की अग्नि परीक्षा बीच चौराहे होती है,
कटी नाक शूर्पणखा को प्रतिदिन
लम्बी होती है।
महिषासुर का मण्डन करते रामायण को भूल रहे,
बन्दूक उठा के आज युवा घर
अपना ही फूंक रहे।
अब तो नारी सजग होकर शस्त्रों
का संधान करो,
चंडी काली दुर्गा बनकर नवयुग
का निर्माण करो।
छद्म रखे निर्बलता के बंधन
सारे तोड़ दो,
तूफानों से टकराने को नाव उधर ही मोड़ दो।
मंज़िल तेरी हिम्मत तेरा पथिक व्यर्थ क्यूँ थकता है,
वही सफल जिसको #शमशान की,राख का चूरा लगता है।
निर्भय हो कूद पड़ो समर में चामुंडा अवतार हो,
तोड़ो बन्धन छद्म हया की देश की कर्णधार हो।

थाम लो तलवार अब तुम रानी लक्ष्मी बाई हो,
सुनीता कल्पना गीता जैसी आज
की तरुणाई हो।
तुम आज की तरुणाई हो……..

#अविनाश तिवारी
अमोरा जांजगीर-चांपा छत्तीसगढ

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।