यह जीवन बड़ा अलबेला है,अपनों का यहाँ झमेला हैl
यहाँ नित काफिले सजते हैं,आदमी फिर भी अकेला हैll
इस धरती पर जब तू आया,देखा तन्हा तू रोया हैl
भाँति-भाँति के रिश्ते बना,अजब-सा खेल खेला हैll
यह जीवन बड़ा………..l
जिसने भी तुझको जन्म दिया,पाल-पोसकर बड़ा कियाl
जब बुढ़ापा आया उन पर,फिर काहे तन्हा छोड़ दियाll
हाथ पकड़कर ढूँढ लिया साथी,
तू कितना मन का मैला हैll
यह जीवन बड़ा…………l
संग जिसके शादी रचाई,हँसी-ख़ुशी के सपने देखे।
धन की जब आई कठिनाई,परदेशी बना बिस्तर ले केll
छल-कपट से ही धन कमाया,
हाथ लगा न तेरे ढेला हैll
यह जीवन बड़ा……….l
चलने की जब बारी आई,जेब टटोला सबने मिलकरl
संगी-साथी मरघट तक आए,तन्हा `दशरथ` अब जाना चलकरll
घर आए पकवान बनाए,
तेरहवाँ मना रंगीला हैll
यह जीवन बड़ा……….ll
#दशरथदास बैरागी