मुस्कान

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umesh

सृष्टि के,
असंख्य जीवों में..
श्रेष्ठ है मनुष्य।
कुत्ते,बिल्ली,
हाथी,घोड़ा,गधा
अनेक जीवों में।।

खुद को साबित किया,
समझदार..
पर भूल गया हँसना,
लाना चेहरे पर मुस्कान।
ईश्वर ने यह अधिकार सिर्फ,
मानव को ही दिया..
मुस्कुरा सकता है मानव ही,
गधा नहीं।।

फिर क्यों,
नफरत का बीज बोकर..
छीन ली दूसरों की मुस्कान,
बिगाड़ ली सेहत।
अब गार्डन में जाकर,
सेहत के नाम पर..
हँसता है जबरदस्ती,
रावण की आवाज में
राम को त्यागकर।।

  #उमेश कुमार गुप्त

परिचय : उमेश कुमार गुप्त का १९८९ में जन्म हुआ है और निवास भाटपार रानी देवरिया(उत्तर प्रदेश) है। जिला देवरिया में रहने वाले उमेश गुप्त के प्रकाशित साहित्य में साझा काव्य संग्रह(जीवन्त हस्ताक्षर,काव्य अमृत, कवियों की मधुशाला) है तो प्रकाशाधीन साहित्य भी है। भारत के श्रेष्ठ युवा कवि-कवियित्रियाॅ में आपकी रचना है तो साझा कहानी संग्रह(मधुबन) भी आपने लिखा है।अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन जारी है। आपकी लेखनी की बदौलत कई शोध पत्र प्रकाशित हुए हैं। काव्य अमृत सम्मान 2016 आपको मिला है ।

matruadmin

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