बरसो बदरा अब तो बरसो मेरे मन के आँगन में,
उमड़-घुमड़ कर आ जाना इस बार हमारे सावन में।
गर्म हवाएं छू-छूकर,अब तो उपहास उड़ाती हैं,
मार थपेड़े धूल कणों से,मन का दर्द बढ़ाती है..
रिमझिम-रिमझिम गीत सुनाओ,बियाबान इस उपवन में,
इन्द्रधनुष के रंग सजाना,आप हमारे सावन मेंll।।
घर की तुलसी छत के ऊपर,मुरझाई-सी खड़ी हुई,
जल भीतर अनहद की प्यासी,सीपी रानी पड़ी हुई..
स्वाति बूँद-सी कान्हा की छवि,उभरी मन वृंदावन में,
मन का मोती बनकर,आना आप हमारे सावन में।।
अनायास जग जाने वाली,याद बहुत बतियाती है,
बिना पिया के सखियों के संग,तीज न सुख दे पाती है..
कंगन और चूड़ियां मिलकर,हँसी उड़ा मन-मन में,
धानी चुनर हमें उड़ाना,पहले-पहले सावन में।।
#डॉ.तारा गुप्ता
परिचय: डॉ.तारा गुप्ता जिला गाज़ियाबाद(उत्तरप्रदेश) के अशोक नगर में रहती हैं।
बहुत सुंदर मन को भा गया यह गीत
Thanks