हर रोज हिंदी दिवस

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पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के “लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस” से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका “लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका” के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार आशा बंसल की एक कविता जिसका शीर्षक है “हर रोज हिंदी दिवस”:

हिंदी भाषा भारत की निराली है,
हिंदी दिवस की करें हम तैयारी है,
भावों की अभिव्यक्ति करती यह निराली है,
नहीं कोई भाषा हमें इसको छोड़ प्यारी,
पूर्व कबीर ज्ञानी सब हिंदी में लिखते आए हैं,
भारत की उज्जवल भाषा का गौरव बढ़ाते आए हैं,
हमें फक्र है अपनी भाषा की आजादी का,
नहीं अंग्रेजी रूपी गुलामी का ,
यद्यपि अंग्रेज छोड़ गए भारत में अपनी भाषा है ,
लेकिन भारत में हिंदी भाषा का ही बोलबाला है,
आइए हिंदी दिवस को हम रोज मनाए,
पूरे देश में हम हिंदी भाषा का परचम लहराए ,
युगो युगो तक अमर रहे हिंदी भाषा का नाम,
नतमस्तक हो हम हिंदी भाषा को करे सलाम ।

जय हिंदी भाषा जय भारत।

परिचय- आशा बंसल, सिलीगुड़ी, पश्चिम बंगाल

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

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