प्रियतम

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naval
मुझे छोड़ तुम जाओगे,
जो आनंद बांहों में मेरे
और कहां तुम पाओगे।
होगा दिल में चैन नहीं
मेरे बिन कोई रैन नहीं,
हर जगह तुम प्रियतम बैचेनी ही बस पाओगे।
जो आनंद बांहों में मेरे
ओर कहां तुम पाओगे।
मैं करती उत्साहवर्धन
मैं तुम्हारा तन-मन-धन,
फिर छोड़क़र मुझको तुम
और किसे अपनाओगे।
जो आनंद बांहों में मेरे
ओर कहां तुम पाओगे।
माना अश्रु देकर मुझे
चैन मिलेगा थोड़ा तुझे,
छोड़ आधे रास्ते पर मुझे
मंजिल पहुंच पछताओगे।
जो आनंद बांहों में मेरे
ओर कहां तुम पाओगे।
                                                                                    #नवल पाल
परिचय : नवल पाल की शिक्षा प्रभाकर सहित एम.ए.,बी.एड.है। आप हिन्दी,अंग्रेजी,उर्दू भाषा का ज्ञान रखते हैं। हरियाणा राज्य के जिला झज्जर में आप बसे हुए हैं। श्री पाल की प्रकाशित पुस्तकों में मुख्य रुप से यादें (काव्य  संग्रह),उजला सवेरा (काव्य संग्रह),नारी की व्यथा (काव्य संग्रह),कुमुदिनी और वतन की ओर वापसी (दोनों कहानी संग्रह)आदि है। साथ ही ऑनलाईन पुस्तकें (हिन्दी का छायावादी युगीन काव्य,गौतम की कथा आदि)भी प्रक्रिया में हैं। कई भारतीय समाचार पत्रों के साथ ही विदेशी पत्रिकाओं में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हैं। सम्मान व पुरस्कार के रुप में प्रज्ञा साहित्य मंच( रोहतक),हिन्दी अकादमी(दिल्ली) तथा  अन्य मंचों द्वारा भी आप सम्मानित हुए हैं। 
 

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