माँ अहिल्या काव्य उत्सव सम्पन्न

2 0
Read Time3 Minute, 2 Second

माँ अहिल्या देश के हृदय की महारानी – ग्रीष्मा त्रिवेदी

इन्दौर। पुण्यश्लोका माँ अहिल्या के जन्म त्रिशताब्दी निमित्त मातृभाषा उन्नयन संस्थान व मातृभाषा डॉट कॉम द्वारा आयोजित अहिल्या काव्य उत्सव रविवार शाम सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि ग्रीष्मा त्रिवेदी व विशेष अतिथि मातृभाषा उन्नयन संस्थान की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. नीना जोशी रहीं। मुख्यतः यह आयोजन मातृशक्ति के द्वारा, मातृशक्ति ने मातृभाषा के माध्यम से किया।
आरम्भ में मालवी भाषा में शारदे वंदना आरम्भ हुआ, संचालन –संयोजन मणिमाला शर्मा ने किया।


कविता पाठ के क्रम में डॉ. सुनीता फड़नीस ने कविता ‘दैवीय गुणों से सुशोभिति प्रातः पूज्या अहिल्या, धर्म परायण, दुःख विनाशिनी अहिल्या’ का पाठ किया।
सरला मेहता ने ‘बचपन से तेजस्वी रही माँ अहिल्या, वन्दे मातरम्’, इनके बाद अनुपमा समाधिया ने कविता ‘सुप्रशासन से कीर्तिलब्ध है मालवा, ऐसी रही माँ अहिल्या, न्याय प्रियता बुद्धिमता में कोई नहीं रहा सानी’ का पाठ किया।
कवयित्री सुरेखा सिसौदिया ने कविता ‘नमन है तव चरणों में, माता वंदन है, माँ अहिल्या तेरा जीवन पुण्याई है।’
सपना साहू ने अहिल्या चरित्र पर प्रकाश डालते हुए अपनी कविता ‘शिवराज्य के निर्णय लेती, शिवलिंग पर हाथ रखकर’ का पाठ किया। डॉ. शशि निगम ने शिवार्पण करके ‘सबकुछ, नारी शक्ति का बन आदर्श रही समर्पित माँ अहिल्या’ व मणिमाला जी ने काव्य पाठ किया।
मुख्य अतिथि ग्रीष्मा त्रिवेदी ने अपने वक्तव्य में कहा कि ‘पुण्यश्लोका माँ अहिल्या के होने से हम सब इन्दौर के लोगों की पहचान है। माँ देश के हृदय की महारानी है, न केवल भौगोलिक इन्दौर की महारानी थी।’
संस्थान द्वारा सभी प्रतिभागियों के सम्मान किया गया व उपहार दिए गए। कार्यक्रम में डॉ. अर्पण जैन, डॉ. अखिलेश राव, विनीता तिवारी, कमलेश सेन, राजेन्द्र गुप्ता, श्याम दांगी, किशोर कोडवानी, राजकुमार जैन, सपना मिश्रा आदि मौजूद रहे।

matruadmin

Next Post

कालजयी साहित्यकार स्मरण शृंखला में सेठ गोविन्ददास को याद किया

Thu Jun 13 , 2024
अपनी भाषा हिन्दी के लिए अपनी ही पार्टी का विरोध करने वाले सेठ गोविन्द दास हिन्दी सेवी के रूप में सदैव प्रेरणा स्वरूप रहेंगे इन्दौर। श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति, इन्दौर द्वारा कालजयी साहित्यकार स्मरण शृंखला में आज सेठ गोविन्द दास, जिनका जन्म 16 अक्टूबर 1896 में जबलपुर के एक […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।