
अज्ञानता का अंधकार जब छाया था जग में,
विष घुलते इस दुनिया में हिंसा के चपेट में,
अहिंसा का बाना चाहिए, सुकून का खज़ाना चाहिए ।
काट चुके बहुत नफ़रत की फ़सलें,
अब तो हे प्रभु! प्रेम की बयार चलनी चाहिए।
ज्ञान का प्रकाश फैलाया चौबीसवें तीर्थंकर ने।
साधना, तप, अहिंसा से, सत्य का साक्षात्कार किया।
महापुरुष महावीर ने जनजीवन को आधार दिया।
जैन धर्म को पंचशील का सिद्धांत बतलाया,
सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह, अस्तेय, ब्रह्मचर्य सिखाया।
‘जियो और जीने दो’ का अर्थ था समझाया।
क्रोध, लोभ, घृणा, अहम से लड़ना सिखाया।
बारह महत्त्वपूर्ण वचनों से था भिज्ञ करवाया।
आत्मा सर्वज्ञ है, शांति और आत्मनियंत्रण ही मुख्य है।
क्षमा और प्रेम का हाथ थामकर स्वयं को जीतना उत्तम है।
आज के समय की यही है पुकार,
महावीर के संदेशों को करें आत्मसात।
#सुष्मिता द्वारकानी माहेश्वरी
अहमदनगर, महाराष्ट्र